लालकृष्ण आडवाणी: जमीनी नेता से उप प्रधानमंत्री तक बने, राम मंदिर को राष्ट्रीय मुद्दा बनाया, अब 'भारत रत्न'

Political journey of Lal Krishna Advani : देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. इसके बारे में पीएम मोदी ने एक्स पर जानकारी दी है.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (Bharat Ratna) से सम्मानित किया जाएगा. पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है. पीएम मोदी ने लिखा, 'मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. आज हम आपको लाल कृष्ण आडवाणी से जुड़े रोचक किस्सों के बारे में बताने जा रहे हैं. कहानी की शुरुआत राम मंदिर से जुड़े मुद्दे के साथ करते हैं.   

राम मंदिर और आडवाणी

अयोध्या में राम जन्मभूमि का मामला साल 1987 के आसपास गरमाने लगा था. हिंदू पक्ष विवादित स्थल का ताला खोलने और वहां पर पूजा-पाठ करने की मांग कर रहा था. वहीं विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा जैसे संगठन आंदोलन कर रहे थे. साल 1987 अयोध्या के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. तब फैजाबाद (अब अयोध्या) की एक स्थानीय अदालत ने स्थानीय प्रसाशन को विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश दे दिया. तभी कांग्रेस ने इसको भुनाने का प्रयास किया. साल 1989 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की राजीव गांधी सरकार और उत्तर प्रदेश की एनडी तिवारी सरकार ने मंदिर का शिलान्यास भी कर दिया. उस समय लालकृष्ण आडवाणी भाजपा अध्यक्ष थे. आडवाणी ने खुद 12 सितंबर 1990 को ऐलान किया कि वह सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा करेंगे. इसके बाद लालकृष्ण आडवाणी का रथ केवल 10 दिन में बनकर तैयार हो गया. ‘रथ’ को करीब 10 हजार किलोमीटर यात्रा करनी थी. 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से आडवाणी की रथयात्रा शुरू कर दी. इस यात्रा को देश के तमाम हिस्सों से होते हुए अयोध्या पहुंचना था और फिर 30 अक्टूबर को कारसेवा में शामिल होना था. तब प्रमोद महाजन, नरेंद्र मोदी जैसे नेता रथयात्रा की कमान संभाल रहे थे.

आडवाणी की गिरफ्तारी और उबाल

आडवाणी रथयात्रा लेकर गुजरात से निकले और बिहार पहुंचे. 23 अक्टूबर 1990 की रात वह समस्तीपुर के सर्किट हाउस में रुके. तभी रात में करीब 1:30 बजे वहां पुलिस पहुंची और आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया तब बिहार में लालू यादव की सरकार थी. 

आडवाणी की गिरफ्तारी का मीडिया कवरेज

लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा का उस समय सभी अखबारों में और देश के न्यूज चैनलों में कवरेज हो रहा था. रथ था. रथ यात्रा और आडवाणी दोनों चर्चित थे. देश में संदेश गया कि भगवान राम के लिए आडवाणी गिरफ्तार हो गए. फिर क्या था कार सेवक उग्र हो गए. इसके बाद जो हुआ वह सबको मालूम है. 30 अक्टूबर को आडवाणी तो अयोध्या नहीं पहुंच पाए लेकिन देश भर से हजारों की तादाद में कार सेवक अयोध्या पहुंच गए. अब राम लला देश में राष्ट्रीय मुद्दा बन चुके थे. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस के बाद आडवाणी हिंदुत्व के हीरो बन गए. 

जब आडवाणी ने मोदी की बचाई थी कुर्सी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लालकृष्ण आडवाणी को अपना गुरु मानते हैं. कई मौकों पर पीएम इस बात का जिक्र भी कर चुके हैं. 1982 में 2 सीटों से लेकर बाजेपी आज जिस मुकाम में है उसमें आडवाणी का बड़ा योगदान है. वहीं पीएम मोदी को भी इस मुकाम तक पहुंचाने में आडवाणी का योगदान है. सीएम रहते मोदी पर 2002 के गुजरात दंगों के वक्त जब आंच आई, तब आडवाणी उनके लिए ढाल बन गए. उस समय केंद्र में भी बीजेपी की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. दंगों के बाद प्रधानमंत्री वाजपेयी गुजरात गए और वहां मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘राजधर्म’ पालन करने की सलाह दी. अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी का इस्तीफा चाहते थे, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी इसके खिलाफ थे. लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी आत्मकथा 'माई कंट्री माई लाइफ' में इस घटना का जिक्र किया है. वह लिखते हैं कि 2 मुद्दों पर मेरी अटल जी के साथ एक राय नहीं थी. पहला था- अयोध्या का मामला, जिस पर आखिर में वाजपेयी को पार्टी की राय माननी पड़ी. और दूसरा था- गुजरात दंगों पर नरेंद्र मोदी के इस्तीफे की मांग, मैं जिसके खिलाफ था. 

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में रही बड़ी

भाजपा का गठन 6 अप्रैल, 1980 को नई दिल्ली के कोटला मैदान में आयोजित एक कार्यकर्ता अधिवेशन में हुआ. बीजेपी के प्रथम अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी निर्वाचित हुए. लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में देश के बड़े हिस्से पर भाजपा की पकड़ मजबूत हुई. इसी का नतीजा था कि भाजपा की अगुवाई वाला NDA गुट 1998 में सत्ता पर काबिज हुआ. 1999 के आम चुनाव में एक बार फिर NDA गुट ने जीत हासिल की. इस बार आडवाणी को गृह मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वो 2002 से 2005 तक उप-प्रधानमंत्री भी रहें. वो देश के इतिहास के 7वें उप-प्रधानमंत्री बने. साल 2004 में जब भाजपा की हार हुई थी, तब भी आडवाणी चुनाव जीतकर लोकसभा में विपक्ष के नेता बने. जब वाजपेयी राजनीति से हटे तो आडवाणी पर भाजपा को आगे ले जाने की जिम्मेदारी आई. 1991, 1998, 1999, 2004 और 2009 में वो गांधीनगर से लोकसभा सांसद चुने गए. 2014 में आखिरी लोकसभा चुनाव भी वे गांधीनगर से ही लड़े, जिसमें जीते भी.

साल 2015 में मिला पद्म विभूषण

लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से पहले साल 2015 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है. उस साल पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिया गया था. तब के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रोटोकॉल तोड़कर खुद उनके घर गए थे और उन्हें यह सम्मान दिया था. वाजपेयी तब 90 साल के थे और अस्वस्थ थे.

किस तरह के काम के लिए दिया जाता है भारत रत्न

आडवाणी को आज भारत रत्न देने के लिए पीएम मोदी ने ऐलान कर दिया, लेकिन यह काम एक दो दिन में नहीं हुआ है. पहले भी उनको भारत रत्न देने की मांग उठ चुकी है. भारत रत्न उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने सार्वजनिक सेवा, साहित्य, विज्ञान और कला जैसे क्षेत्रों में असाधारण काम किया हो. इस पुरस्कार की स्थापना 1954 में की गई थी. एक साल में ज्यादा से ज्यादा 3 लोगों को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. 2024 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिया गया है.

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03 February 2024, 04:03 PM IST

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