Vikas Divyakirti: महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर आरोप लगे हैं कि, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए दिव्यांगता का सर्टिफिकेट दिखाया था. विकलांगता के कारण ही उन्हें रियायत दी गई थी. इसके साथ ही उनपर अपने पद का मिसयूज करने का भी आरोप है. ऐसे में उनकी नियुक्ति को लेकर खड़े हो रहे सवालों के बीच फेमस टीचर और कोचिंग डायरेक्टर विकास दिव्यकीर्ति का एक ANI इंटरव्यू का वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में वह यूपीएससी परीक्षा, पूजा खेडकर और इसी तरह के कई मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करते हुए नजर आ रहे हैं.
इस बीच वीडियो में विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि ओबीसी और ईडब्लूएस आरक्षण में इतने बारीक पेच हैं कि कोई भी सुनेगा तो हैरान रह जाएगा.
विकास दिव्यकीर्ति ने न्यूज एजेंसी को दिए अपने इंटरव्यू में ओबीसी और ईडब्लूएस के आरक्षण पर कहा कि इन दोनों में कितने बारीक पेच हैं, आप सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे. इस देश में EWS का आरक्षण कोई भी ले सकता है. आप भी ले सकती हैं, मैं भी ले सकता हूं. ओबीसी में एक पेच है कि वहां क्रीमी लेयर का कॉन्सेप्ट है. ऐसे में अगर आप ओबीसी से हैं लेकिन क्रीमी लेयर में आते हैं तो आपको जनरल माना जाएगा. इतना अंतर है कि अगर आपको IAS बनना है और आप जनरल हैं तो आपको 75 रैंक लानी होगी जबकि आप ओबीसी में 400 रैंक तक लाकर ही आईएएस एक बन सकते हैं.
इस दौरान इंटरव्यू में विकास दिव्यकीर्ति ने आगे कहा कि पिछले 25 साल में मैं केवल एक ऐसे दोस्त को जानता हूं, जो ओबीसी में था और उसने आरक्षण लेने से मना कर दिया. यह कहकर कि मुझे बचपन और पढ़ाई ठीक मिली तो मैं क्यों आरक्षण का लाभ लूं. जैसे एक नियम है कि अगर आप के पैरेंट्स क्लास 1 की नौकरी में हैं तो आप ओबीसी नहीं हो सकते. आपके दोनों पैरेंट्स ग्रुप बी में हैं तब भी आप नहीं हो सकते. ग्रुप सी, ग्रुप डी में ऐसा नहीं होता. इनकम 8 लाख से चाहे ज्यादा हो, तब भी आप ओबीसी में रहते हैं. मेरे ख्याल से सरकारी नौकरी वालों ने खेल खेला होगा कि उनके बच्चे भी सरकारी नौकरी में आ सकें.'
इस बीच इंटरव्यू में विकास दिव्यकीर्ति ने आगे कहा कि एक और खेल खेला गया है कि खेती से होने वाली इनकम को नहीं देखा जाएगा, यह तय करते समय कि क्रीमी लेयर में आते हैं या नहीं. बहुत सारे सिविल सर्वेंट जो भ्रष्टाचार का रास्ता चुनते हैं वे बड़े पैमाने पर खेती से इनकम दिखाते हैं. ओबीसी में कैंडिडेट की अपनी इनकम काउंट नहीं होती है, सिर्फ पैरेंट्स की होती है. ईडब्लूएस में सबकी इनकम काउंट होती है, ये अंतर है.
उन्होंने एक उदाहरण से समझाया कि अगर मेरे पिता आईएएस हैं और वे दो साल में रिटायर होने वाले हैं. अब उनके क्लास 1 अफसर होने की वजह से मैं क्रीमी लेयर में नहीं आ पाऊंगा. उन्होंने खूब पैसा कमा लिया है. उनके पास इतना पैसा है कि मैं उससे जिंदगी भर ऐश की जिंदगी बीता सकता हूं. बहुत सारी बिल्डिंग खरीदी हैं जिनका किराया आता है. अब मैं अपने पापा से कहता हूं कि मुझे आईएएस बनना है लेकिन जनरल से नहीं बन पाऊंगा, ओबीसी से बन पाऊंगा तो आप सपोर्ट करो. इस दौरान ऐसे केस में वह रिजाइन कर देते हैं. 2 साल की सर्विस बची थी, पैसा पहले ही कमा सकते हैं.
उनके रिजाइन करते ही यह शर्त हट जाती है कि मेरे पिता क्लास 1 जॉब में हैं. अब वे अपनी सारी संपत्ति मेरे नाम कर देंगे. उनकी सालाना इनकम 6 लाख से कम हो गई जबकि मेरी महीने की इनकम 60 लाख हो गई. ओबीसी होने के लिए क्राइटीरिया मेरी इनकम नहीं है, सिर्फ मेरे पैरेंट्स की इनकम है. अब मैं भले ही 50 लाख हर महीने कमा रहा हूं लेकिन अब मैं ओबीसी कैटगरी के योग्य माना जाऊंगा.
First Updated : Monday, 22 July 2024