Explainer : डिप्टी सीएम की पोस्ट कितनी ताकतवर होती है? देश में पहली बार कौन बना था उप मुख्यमंत्री

How Powerful is post of Deputy CM : साल 1990 के दशक से जब गठबंधन सरकारों का दौर शुरू हुआ तब से राजैनितक संतुलन स्थापित करने के लिए उपमुख्यमंत्री पद का उपयोग अधिक होने लगा है. गठबंधन में दो शक्तिशाली दलों में से एक का ही व्यक्ति मुख्यमंत्री बन सकता है. ऐसे में राजैतिक तौर पर उपमुख्यमंत्री का पद दूसरे दल को दिया जाता है.

Pankaj Soni
Edited By: Pankaj Soni

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद तीनों राज्यों में बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाने के साथ ही दो-दो उप मुख्यमंत्री भी बनाया है. ऐसे में हमारे दिमाग में सवाल उठता है कि जब एक मुख्यमंत्री है तो उप मुख्यमंत्री की क्या जरूरत है. क्या उप मुख्यमंत्री के पास मुख्यमंत्री जैसी शक्तियां होती हैं या फिर मंत्री के बराबर ही शक्तियां होती हैं. इसके साथ ही आपके दिमाग में यह सवाल भी चल रहा होगा कि उप मुख्यमंत्री पद की शुरुआत देश में कब से हुई थी. 

डिप्टी सीएम पद को लेकर संविधान क्या कहता है?

उप मुख्यमंत्री और उप प्रधानमंत्री जैसे पद का जिक्र भारतीय संविधान में कहीं नहीं है. मतलब संविधान में इस पद की व्यवस्था नहीं है. फिर भी राज्यों में डिप्टी सीएम बनाए जा रहे हैं.

कौन था देश का पहला उप प्रधानमंत्री

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री थे. 15 अगस्त, 1947 से 15 दिसम्बर, 1950 तक सरदार पटेल इस पद पर रहे थे. इसके बाद देश में मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम उपप्रधानमंत्री बने, लेकिन 1989 में चौधरी देवीलाल के उपप्रधानमंत्री बनने के बाद प्रदेशों में भी उपमुख्यमंत्री पद बनने लगे और अभी तीन राज्यों में दो दो उपमुख्यमंत्री बनाए जा रहे हैं. साफ है कि पद की संवैधानिक तौर पर कैसी भी हैसियत हो इस पद का एक राजनैतिक कद जरूर दिख रहा है.

देश में पहली बार कौन बना डिप्‍टी सीएम ? 

सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने एक मीडिया समूह को बताया कि देश में उप मुख्यमंत्री बनाने की परंपरा उप प्रधानमंत्री बनाने की प्रक्रिया के बाद शुरू हुई. संविधान बनाए जाने के बाद देश का पहला डिप्‍टी सीएम बनाए जाने का मामला नीलम संजीव रेड्डी से जुड़ा है. साल 1953 में मद्रास प्रेसिडेंसी से तेलुगु भाषी इलाकों को काटकर आंध्र राज्‍य बनाया गया. इसके बाद टी. प्रकाशम नए राज्य के पहले मुख्‍यमंत्री बने. उन्होंने नीलम संजीव रेड्डी को अपना उपमुख्‍यमंत्री बनाया. इसके बाद देशभर में डिप्‍टी सीएम बनाने की परंपरा शुरू हो गई. 

राजनैतिक संतुलन के लिए बने डिप्टी सीएम?

साल 1990 के दशक से जब गठबंधन सरकारों का दौर शुरू हुआ तब से राजैनितक संतुलन स्थापित करने के लिए उपमुख्यमंत्री पद का उपयोग अधिक होने लगा है. गठबंधन में दो शक्तिशाली दलों में से एक का ही व्यक्ति मुख्यमंत्री बन सकता है. ऐसे में राजैतिक तौर पर उपमुख्यमंत्री का पद दूसरे दल को दिया जाता है. वहीं कई सरकारों में किसी जाति या शक्तिशाली वोट समूह के प्रतिनिधित्व को महत्व देने के लिए भी यह पद बना दिया जाता है. जैसा कि इस बार भी दिख रहा है.

कई राज्यों में है ऐसी स्थिति

वर्तमान समय में महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं. सभी राज्यों में जहां उपमुख्यमंत्री पद बनाए गए हैं, वहां या तो गठबंधन की सरकार है,  या फिर वहां एक पार्टी का बहुमत होने के बाद भी अलग अलग वर्गों के बीच राजनैतिक प्रतिनिधित्व के संतुलन को बनाने के लिए ऐसा किया जाता है. राजस्थान, मध्यप्रदेश, और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिला है. लेकिन फिर भी तीनों प्रदेशों में विभिन्न समुदायों के बीच एक राजनैतिक संतुलन बैठाने की बात की है.

डिप्टी सीएम की पोस्ट कितनी ताकतवर होती है

डिप्टी सीएम को मंत्रिमंडल में मंत्री के पद की शपथ दिलाई जाती है. उसके पास मंत्रालय होते हैं. ये ज्यादा या कम दोनों हो सकते हैं. मंत्री के बराबर प्रशासनिक ताकत डिप्टी सीएम के पास होती है. हां यह पद देखने सुनने में अलग लगता और खास जरूर लगात है. इस पद में मुख्यमंत्री जुड़ा है इसलिए लोगों को पद गरिमामय लगता है.

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14 December 2023, 06:36 PM IST

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