Explainer : 3 मूर्ति, 3 कलाकार, 5 साल की मासूमियत वाली मूर्ति का आज होगा रामलला के रूप में चयन
राम लला की मूर्ति के चयन के लिए वोटिंग प्रक्रिया को अपनाया जाएगा. इसके साथ ही कुछ और मानक भी तय किए गए हैं, जिसके आधार पर भगवान रामलला की मूर्ति को फाइनल किया जाएगा. रामलला की मूर्ति फाइनल करने के लिए आज यानी 29 दिसंबर को श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की एक अहम बैठक होगी.
अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं. भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 3 मूर्तियां बनकर तैयार हैं और तीनों अलग-अलग कारीगरों द्वारा बनाई गई हैं. मंदिर में एक मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होगी ऐसे में सवाल उठता है कि तीनों में से एक मूर्ति का चयन किस प्रकार से होगा?
राम लला की मूर्ति के चयन के लिए वोटिंग प्रक्रिया को अपनाया जाएगा. इसके साथ ही कुछ और मानक भी तय किए गए हैं, जिसके आधार पर भगवान रामलला की मूर्ति को फाइनल किया जाएगा. रामलला की मूर्ति फाइनल करने के लिए आज यानी 29 दिसंबर को श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की एक अहम बैठक होगी. इस बैठक में तय होगा कि रामलला की कौन सी मूर्ति गर्भगृह में स्थापित की जाएगी. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भगवान रामलला की 3 मूर्तियां हैं. हर एक की लंबाई 51 इंच है. तीन मूर्तियों को एक तरीके से बनाया गया है, लेकिन तीनों को अलग-अलग कारीगरों ने बनाया है. इनमें से ही भगवान राम के गर्भगृह के लिए रामलला की एक मूर्ति का चयन करना है.
कैसे होगा मूर्ति का चयन
मूर्ति के चयन के लिए अलग-अलग मूर्तिकारों द्वारा बनाए गए तीनों डिजाइनों को एक क्रम में रखा जाएगा. इसके बाद कमेटी के लोगों से वोटिंग कराई जाएगी. जिस एक मूर्ति को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे, उसे 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय स्थापित किया जाएगा. श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय के अनुसार रामलला की मूर्ति 5 साल की उम्र वाली होगी. भगवान राम की पांच साल की उम्र को प्रतिबिंबित करने वाली राम लला की 51 इंच ऊंची मूर्ति को तीन डिजाइनों में से चुना जाएगा. उन्होंने कहा कि जिस मूर्ति में सबसे अच्छी दिव्यता होगी और जिसमें 5 साल के बच्चे की मासूमियत की झलक होगी, उसी मूर्ति का चयन किया जाएगा.
किस तरह की तैयारी चल रही है?
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने जिले के शीर्ष अधिकारियों को बताया कि राम जन्मभूमि पथ और परिसर पर चल रहे निर्माण कार्य का जायजा लिया. 30 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित अयोध्या दौरे से पूर्व श्री राम जन्मभूमि मंदिर को जोड़ने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर रामायण काल के प्रमुख प्रसंगों का मनमोहक चित्रण कराने की दिशा में योगी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में तेजी लाई जा रही है.
प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकेंड का होगा मुहूर्त
भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त केवल 84 सेकेंड का होगा, जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक के बीच होगा. भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का यह मुहूर्त पंडित गणेश्वर शास्त्री ने निकाला है. 22 जनवरी 2024 को होने वाले इस कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे. रामलला के मंदिर में विराजमान होने के बाद पीएम मोदी भगवान की सबसे पहली आरती उतारेंगे. इसके बाद मंदिर परिसर में बनी जटायु की प्रतिमा पर पुष्पांजलि करेंगे.
किस मूर्ति की क्या विशेषता है?
1. अरुण योगीराज द्वारा तैयार की गई रामलला की श्याम वर्ण मूर्ति 51 इंच ऊंची है.
– मूर्ति में भगवान 5 साल के बालरूप में धनुष-तीर के साथ हैं.
– मूर्ति कर्नाटक की कृष्ण शिला से बनी है.
2. सत्यनारायण पांडे की श्वेत वर्ण मूर्ति में भी रामलला के हाथ में धनुष-तीर है.
– भगवान के मुख पर हास्य झलकता है.
– यह विशिष्ट संगमरमर से तैयार की गई है.
– इसे सबसे अच्छे 100 पत्थरों में चुना गया है.
– दावा है कि ये कभी भी खराब नहीं होगी.
3. जीएल भट्ट की श्याम वर्ण मूर्ति 4 फीट ऊंची है.
– ये मूर्ति भी बाल स्वरूप में है.
– इसमें भी मुस्कुराता चेहरा झलक रहा है.
– भगवान हाथ में धनुष लिए हुए हैं.
कौन हैं तीनों मूर्तिकार?
1. मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे राजस्थान के प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं.
– संगमरमर की मूर्तियों के प्रमुख निर्माता-निर्यातक हैं.
– पारंपरिक कला, समकालीन महत्व के मिश्रण की मूर्तियां बनाते हैं.
– कटिंग, पॉलिसिंग और फेसिंग के लिए जाने जाते हैं.
– मकराना की शिला से मूर्ति बनाते रहे हैं.
– कुछ दशकों में बड़े मूर्तिकार के तौर पहचान बनी है.
2. मूर्तिकार जीएल भट्ट बेंगलुरु के रहने वाले हैं.
– देश-विदेश में प्रसिद्ध भट्ट 45 सालों से मूर्ति बना रहे हैं.
– भारतीय शिल्पकला की 120 प्रदर्शनी प्रस्तूत कर चुके हैं.
– 50 से ज्यादा अवॉर्ड से सम्मानित हैं.
3. अरुण योगीराज शिल्पी मैसूर के मूर्तिकार हैं
– 2008 में नौकरी छोड़ मूर्ति बनाने के काम में जुटे थे.
– पांच पीढ़ी से परिवार मूर्ति बनाने के काम में लगा है.
– खुद 1 हजार से ज्यादा मूर्ति बना चुके हैं.
– केदारनाथ में आदिशंकराचार्य की मूर्ति बनाई थी.
– इंडिया गेट पर स्थापित नेताजी की मूर्ति भी इन्होंने ही बनाई.
– काम को लेकर कई बार पीएम ने तारीफ की है.