संसद में मंजूरी के बाद अब कैसे कानून बनेगा वक्फ संशोधन बिल? जानें अंतिम प्रक्रिया
Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ संशोधन बिल को संसद से मंजूरी मिल चुकी है. अब यह कानून बनने की दिशा में अंतिम चरण में पहुंच गया है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह विधेयक आधिकारिक रूप से अधिनियम बन जाएगा. आइए जानें, इसके आगे की पूरी प्रक्रिया क्या है और यह विधेयक क्यों इतना महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर संसद में बीती रात जबरदस्त बहस के बाद इसे मंजूरी मिल गई है. राज्यसभा में लगभग 13 घंटे की लंबी चर्चा के बाद शुक्रवार तड़के इस विधेयक को पारित कर दिया गया. सरकार ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय के हित में "ऐतिहासिक सुधार" बताया है, जबकि विपक्ष ने इसे "संविधान विरोधी" और "अल्पसंख्यक विरोधी" करार देते हुए तीखी आपत्ति जताई.
इस विवादित विधेयक को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखा राजनीतिक टकराव देखने को मिला. सरकार का कहना है कि यह सुधार लंबे समय से लंबित था, जबकि विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करता है. अब जब यह विधेयक दोनों सदनों से पारित हो चुका है, इसके कानून बनने की प्रक्रिया में अब अंतिम कदम बाकी है.
संसद के दोनों सदनों से मिली मंजूरी
राज्यसभा में यह विधेयक 128 सदस्यों के समर्थन और 95 के विरोध के साथ पारित हुआ. इससे एक दिन पहले, गुरुवार को लोकसभा में इसे 288 वोटों के समर्थन और 232 के विरोध के साथ मंजूरी मिली थी. यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करने और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन एवं प्रशासन को सुदृढ़ बनाने का लक्ष्य लेकर आया है.
अगला कदम राष्ट्रपति की मंजूरी
विधेयक को अब भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही यह विधेयक कानून का रूप लेगा और एक अधिनियम बन जाएगा. यह प्रक्रिया अत्यंत आवश्यक होती है क्योंकि बिना राष्ट्रपति की सहमति के कोई भी विधेयक कानून नहीं बन सकता. यदि राष्ट्रपति इसे पुनर्विचार के लिए वापस भेजते हैं, तो संसद इसे संशोधित कर सकती है या यथावत पुनः भेज सकती है. दोबारा प्रस्तुत किए जाने पर राष्ट्रपति की मंजूरी देना अनिवार्य होता है.
संशोधित विधेयक में शामिल की गईं समिति की सिफारिशें
इस संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की सिफारिशों के आधार पर संशोधित किया गया है. यह समिति अगस्त 2024 में प्रस्तुत विधेयक की जांच कर रही थी. अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में बताया कि JPC द्वारा किया गया परामर्श लोकतांत्रिक इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी प्रक्रिया थी.
अभूतपूर्व जनभागीदारी और सुझाव
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि समिति को 97.27 लाख से अधिक याचिकाएं और ज्ञापन प्राप्त हुए, जिन्हें भौतिक और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से स्वीकार किया गया. इन सभी पर गहनता से विचार किया गया. इसके अलावा 284 प्रतिनिधिमंडलों ने विधेयक पर अपनी राय दी, जिनमें देशभर के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वक्फ बोर्ड भी शामिल थे. विधिक विशेषज्ञों, धार्मिक नेताओं, शिक्षाविदों और समाजसेवी संगठनों ने भी विधेयक पर अपने विचार प्रस्तुत किए.
तकनीक और पारदर्शिता को मिलेगा बढ़ावा
सरकार का कहना है कि यह विधेयक पूर्ववर्ती अधिनियम की कमियों को दूर करेगा और वक्फ बोर्डों की कार्यक्षमता को बेहतर बनाएगा. पंजीकरण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सरल बनाने के साथ-साथ वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड के प्रबंधन में तकनीक की भूमिका बढ़ाई जाएगी.