One Nation One Election Policy: केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से एक देश- एक चुनाव को लेकर एक सवाल किया था. जिसमें केंद्र ने पूछा था कि 'क्या एक देश एक चुनाव मुमकिन है' इस पर आयोग ने सुझाव दिया था कि 'यदि संविधान में संशोधन और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किए जाए इसके साथ ही ईवीएम और वीवीपेड के बनाने और खरीदने के लिए बजट मिले तो यह मुमकिन हो सकता है.'
अगर ये बिल लागू हुआ तो फिलहास इलेक्शन कराने के लिए निर्वाचन आयोग के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. क्योंकि एक साथ चुनाव कराने के लिए बड़ी समख्या में ईवीएम की ज़रूरत पड़ेगी. और चुनाव आयोग के पास इतने ज़्यादा ईवीएम नहीं हैं. इसके साथ ही सभी राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अलग होगा, ऐसे में उनका ऐक साथ चुनाव कराने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ेगी.
चुनाव आयोग का सुझाव
एक देश- एक चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने कहा है कि 'अगर किसी राज्य का विधानसभा चुनाव एक से डेढ़ साल पहले ही हुआ है, तो उसका जो बचा हुआ समय है वो बढ़ाकर अगले चुनाव में एक साथ किया जा सकता है और जिनके विधानसभा चुनाव में एक-डेढ़ साल ही बाकी हैं, तो उनका कार्यकाल घटाकर लोकसभा चुनाव के साथ ही करा सकते हैं.'
जब 2015 में केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग से पूछा था कि 'क्या एक देश एक चुनाव संभव है, तो इस पर आयोग ने सुझाव दिया था कि 'यदि संविधान में संशोधन हो जाए और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन हो जाए, साथ ही ईवीएम और वीवीपेड के निर्माण और खरीदने के लिए बजट मिले तो यह मुमकिन है.' दोनों चुनाव एक साथ होने से राष्ट्रीय या क्षेत्रीय दलों को कोई नुकसान नहीं है.'
इस आधार पर ये कहा जा सकता है कि अगर देश में एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो इसके बहुत सी तैयारियां करने की ज़रूरत है, जिसमें ईवीएम की सबसे बड़ी दिक्कत सामने आएगी. First Updated : Sunday, 03 September 2023