'बंटोगे तो कटोगे' वाला नारा: NDA में तकरार, सहयोगी दलों का विरोध क्यों बढ़ा?

योगी आदित्यनाथ के 'बंटोगे तो कटोगे' नारे पर एनडीए में फूट पड़ गई है. महाराष्ट्र से लेकर बिहार तक, बीजेपी के सहयोगी दल इस बयान का विरोध कर रहे हैं. अजित पवार, जेडीयू और जयंत चौधरी जैसे नेताओं ने इसे विवादास्पद और विभाजनकारी बताया. वहीं, चिराग पासवान ने बीजेपी का समर्थन किया. क्या यह विवाद एनडीए के लिए नया संकट बनेगा? जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें.

JBT Desk
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Yogi Slogan Became Controversial: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिया गया ‘बंटोगे तो कटोगे’ का विवादास्पद बयान अब एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के अंदर गहरे मतभेदों का कारण बन चुका है. यह नारा, जो हाल ही में उत्तर प्रदेश में एक चुनावी सभा के दौरान योगी ने दिया, अब एनडीए के कई सहयोगी दलों के बीच विवाद का कारण बन गया है. बीजेपी के इस नारे पर विरोध बढ़ने लगा है और यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस तरह के बयान संघीय ढांचे और देश की राजनीति में सामंजस्य बनाए रखने के लिए सही हैं.

महाराष्ट्र में विरोध, अजित पवार का तीखा हमला

महाराष्ट्र के नेता अजित पवार ने सबसे पहले इस नारे का विरोध किया. 7 नवंबर को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार ने कहा, 'यह महाराष्ट्र है, यहां के लोग छत्रपति शिवाजी, राजर्षि शाहू महाराज और महात्मा फूले की धरती पर रहते हैं. महाराष्ट्र में इस तरह के विभाजनकारी नारों की कोई जगह नहीं है. हम हमेशा से सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने में विश्वास रखते हैं. हम महाराष्ट्र को किसी और राज्य से तुलना नहीं करने देंगे.' अजित पवार का यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि वह न केवल बीजेपी के नारे से असहमत हैं, बल्कि इस तरह के बयान को राज्य की राजनीति में नकारात्मक असर डालने वाला मानते हैं.

संजय निरूपम ने क्या कहा?

महाराष्ट्र में महायुति के सहयोगी एकनाथ शिंदे की सेना के नेता संजय निरूपम ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि अजित पवार को जल्द ही समझ में आ जाएगा कि ‘बंटोगे तो कटोगे’ जैसी बातें सही हैं और यह लाइन आगे चलकर काम करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि सीएम योगी ने कोई गलत नहीं कहा है. यह बयान इस बात को दर्शाता है कि राज्य स्तर पर बीजेपी और उनके सहयोगियों के बीच इस विवाद पर अलग-अलग विचार हैं.

जेडीयू और गुलाम गौस का विरोध

जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के एमएलसी गुलाम गौस ने 8 नवंबर को पटना में कहा, 'बंटेंगे तो कटेंगे जैसे नारे की भारत को बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. यह नारा केवल उन्हीं लोगों के लिए है, जो चुनावी फायदे के लिए सांप्रदायिक आधार पर राजनीति करते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राष्ट्रपति सभी हिंदू हैं, तो फिर हिंदू समाज असुरक्षित कैसे हो सकता है? उनका कहना था कि इस तरह के बयान देश की एकता और अखंडता के लिए सही नहीं हैं.

चिराग पासवान ने किया बीजेपी का समर्थन

जहां कुछ सहयोगी दल इस नारे का विरोध कर रहे हैं, वहीं चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने बीजेपी का समर्थन किया है. उनका कहना था कि ‘बंटोगे तो कटोगे’ जैसे नारे में कोई गलत बात नहीं है. चिराग पासवान ने इसे सही ठहराया और बीजेपी के इस नारे को देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति के हिसाब से उपयुक्त बताया.

जयंत चौधरी का तटस्थ रवैया

राष्ट्रीय लोक दल (RLD) प्रमुख जयंत चौधरी ने भी इस मामले पर अपनी राय दी. जब उनसे पूछा गया कि वे योगी आदित्यनाथ के ‘बंटोगे तो कटोगे’ बयान पर क्या सोचते हैं, तो उन्होंने इसे नजरअंदाज करते हुए कहा, 'यह उनकी बात है' और फिर वहां से चले गए. इससे यह साफ हो गया कि आरएलडी भी इस नारे के साथ नहीं है और उन्होंने इस मामले से खुद को अलग कर लिया है.

NDA में बढ़ता असंतोष

बीजेपी का ‘बंटोगे तो कटोगे’ नारा अब एनडीए में फूट का कारण बन चुका है. कई सहयोगी दल इसे एक विभाजनकारी और सांप्रदायिक बयान मानते हैं, जबकि बीजेपी इसे अपने पक्ष में चुनावी फायदा उठाने के रूप में देख रही है. यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या एनडीए के सहयोगी दल इस मुद्दे को लेकर अपने रिश्तों को फिर से मजबूत करेंगे, या यह विवाद भविष्य में गठबंधन के लिए संकट पैदा करेगा.

यह घटना एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है, जहां विभिन्न विचारधाराओं के दल एक ही छत के नीचे काम कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि बीजेपी इस विवाद को कैसे सुलझाती है और क्या बाकी सहयोगी दल फिर से एकजुट हो पाते हैं या नहीं.

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09 November 2024, 06:35 PM IST

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