पहलगाम हमला: पर्यटन पर असर, घाटी में आक्रोश और एकजुटता
आतंकी हमले के बाद पहलगाम की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है. डल झील एकदम सनसान हो गई है, जिसके बाद वहां की आमदनी पर प्रभाव पड़ रहा है.

हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर की तस्वीर तेजी से बदल गई है. घटना के 48 घंटे के भीतर घाटी में डर और सन्नाटा पसर गया है. श्रीनगर जाने वाली फ्लाइट्स अब लगभग खाली हैं. वहीं यहां से निकलने वाली उड़ानों में लोगों की भारी भीड़ देखी जा रही है. डल झील, जो कुछ दिन पहले तक पर्यटकों से गुलजार थी अब शांत और सुनसान नजर आ रही है. पहले जहां शिकारे मांग पर उपलब्ध नहीं थे, अब वहीं शिकारे खाली खड़े हैं.
पर्यटकों को बनाया गया निशाना
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब घाटी आतंकवाद के लंबे अंधकार से बाहर निकल कर पर्यटन और शांति की ओर बढ़ रही थी. लेकिन पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया यह कायराना हमला एक बार फिर उस भयावह अतीत की याद दिला गया है.
35 सालों में पहली बार घाटी में पूरा बंद
हमले के विरोध में घाटी के व्यापारी, होटल मालिक और आम लोग सड़कों पर उतर आए हैं. 35 सालों में पहली बार घाटी में पूरा बंद देखने को मिला. मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से बंद में शामिल होने की अपील की गई. विरोध प्रदर्शन के दौरान "हिंदुस्तान जिंदाबाद" और "मैं भारतीय हूं" जैसे नारे गूंजे.
गुलाम रसूल खान ने की कड़ी निंदा
श्रीनगर के प्रसिद्ध जामावार कारीगर और पद्मश्री सम्मानित गुलाम रसूल खान ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि घाटी की आमदनी पर्यटन पर निर्भर है और इस तरह की घटनाएं स्थानीय लोगों की आजीविका पर सीधा प्रभाव डालती हैं. उन्होंने प्रशासन से दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की. होटल व्यवसायियों ने पर्यटकों को 15 दिन तक नि:शुल्क आवास देने की पेशकश की है. स्थानीय लोगों ने आतंकियों के खिलाफ एकजुटता दिखाई और सेना को अपना पूर्ण समर्थन दिया.


