पहले भी विवादों में रह चुके हैं जस्टिस यशवंत वर्मा, 2018 में इस मामले में सीबीआई की जांच में आया था नाम

दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का नाम पहले भी सुर्खियों में रहा है, जब सिंभावली शुगर्स लिमिटेड द्वारा बैंक धोखाधड़ी में जस्टिस यशवंत वर्मा को सीबीआई ने 10वें आरोपी के रूप में नाम जोड़ा था. यह मामला 2018 का है. हालांकि, एक अदालत ने फरवरी 2024 में सीबीआई को रुकी हुई जांच फिर से शुरू करने का आदेश दिया. इससे पहले कि कोई कार्रवाई आगे बढ़ पाती, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने से सिंभावली शुगर मिल धोखाधड़ी मामले फिर से सामने आ गया है. जस्टिस वर्मा के 22 साल के लंबे करियर के बेदाग रिकॉर्ड को उस समय झटका लगा जब उनके आधिकारिक आवास पर आग लगने की घटना के बाद उनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई. इस घटना ने उनके पिछले सिंभावली शुगर्स लिमिटेड के साथ उनके संबंधों को फिर से जन्म दे दिया है. बता दें कि सिंभावली शुगर्स लिमिटेड का करोड़ों के बैंक धोखाधड़ी में नाम है. इस घटना के बाद 2018 के मामले को फिर से जन्म दे दिया है.

2018 में भी फंसे थे जस्टिस यशवंत वर्मा

मामला फरवरी 2018 का है, जब ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की शिकायत पर सीबीआई ने सिंभावली शुगर्स के खिलाफ जांच शुरू की थी. बैंक ने आरोप लगाया कि कंपनी ने किसानों के लिए निर्धारित 97.85 करोड़ रुपये के ऋण का दुरुपयोग किया और इस राशि को अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया. मई 2015 तक सिंभावली शुगर्स को पहले ही 'संदिग्ध धोखाधड़ी' मामले के सामने आ चुकी थी. बैंक ने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को इसकी सूचना दी गई थी.

इसके बाद सीबीआई ने 12 व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में यशवंत वर्मा को दसवें आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया गया. आरोपों की गंभीरता के बावजूद मामला दबा दिया गया और वर्मा सहित एफआईआर में नामित लोगों के विरुद्ध कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई.

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी जांच पर रोक

एक अदालत ने फरवरी 2024 में सीबीआई को रुकी हुई जांच फिर से शुरू करने का आदेश दिया. हालांकि, इससे पहले कि कार्रवाई आगे बढ़ पाती, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पर रोक लगा दी , जिससे सीबीआई की प्रारंभिक जांच को तत्काल बंद कर दिया गया. इससे सिंभावली शुगर्स और उसके निदेशकों से जुड़ी वित्तीय अनियमितताओं की किसी भी जांच को प्रभावी रूप से समाप्त कर दिया गया.

नकदी मिलने से फिर उठे सवाल

जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से हाल ही में भारी मात्रा में नकदी बरामद होने से उनके पिछले वित्तीय लेन-देन और सिंभावली शुगर्स मामले में उनकी कथित भूमिका के बारे में सवाल फिर से उठ खड़े हुए हैं. आलोचकों का तर्क है कि 2018 में सीबीआई की निष्क्रियता और 2024 में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से शीर्ष पदों पर बैठे व्यक्तियों से संबंधित भ्रष्टाचार संबंधी जांच के संचालन के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं.

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22 March 2025, 12:18 PM IST

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