लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी की जोड़ी की चर्चा राजनीतिक संन्यास और 2009 में बीमार होने के बाद से कम जरूर हो गई थी लेकिन इसे भारतीय राजनीति में सदियों तक याद किया जाता रहेगा.
लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी की जोड़ी की चर्चा राजनीतिक संन्यास और 2009 में बीमार होने के बाद से कम जरूर हो गई थी लेकिन इसे भारतीय राजनीति में सदियों तक याद किया जाता रहेगा.
जब वाजपेयी लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे और आडवाणी को जनसंघ के विजयी सांसदों की मदद के लिए दिल्ली बुलाया गया था. इसके बाद दोनों एक दूसरे के करीब आए और दशक बीतते ही दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई.
उस दौरान दोनों अविवाहित थे जिसकी वजह से वे पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ रहने लगे. दोनों एक साथ मिलकर पार्टी के लिए काम करते रहे. दोनों के बीच इतना लगावा था कि, वो खाली वक्त भी एक साथ बिताते थे.
उस जमाने में लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी जी पार्टी की ताकत थे. दोनों ने अपनी दोस्ती से दुनिया में एक अलग पहचान बनाई थी.