दुनिया में एक मुस्लिम-बहुल मुल्क ऐसै भी है जहां से लड़कियां पकडौवा शादी के डर से देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर हैं. यहां लड़कियों को पकड़कर जबरन शादी करवा दी जाती है. इतना ही नहीं यहां पहले लड़कियों को अलगवा किया जाता है फिर उसके साथ मारपीट की जाती है और रेप किया जाता है. उसके बाद लड़की की शादी करवा कर उसे मवेशियों की सेवा करने, खेत पर काम करने और मजदूरी जैसे कामों में लगा दिया जाता है. इस तरह से लड़की की जिंदगी बर्बाद हो जाती है. भारत में बिहार में इस तरह की सामाजिक बुराई देखने के लिए बहुत पहले से मिल रही है. लेकिन आज हम दुनिया मध्य एशिया के में स्थित देश किर्गिस्तान की बात कर रहे हैं.
दुनिया के कई हिस्सों से फोर्स्ड मैरिज की खबरें आती हैं, लेकिन किर्गिस्तान के ग्रामीण इलाकों में यह कहानी बहुत आम है. इस देश में 60 प्रतिशत आबादी का रिश्ता इसी तरह हुआ है. इस प्रथा को वहां "अल काचु" कहते हैं, जिसका मतलब है- पकड़ो और भाग निकलो. इसके लिए लड़के समूह बनाकर लड़कियों की तलाश करते हैं और पसंद आई लड़की को किडनैप कर लेते हें. ये सब खुलेआम होता है.
यहां के घरों में जैसे ही लड़का शादी के उम्र तक पहुंचता उसके परिवार वाले लड़के को अल काचू के लिए उकसाते हैं. इसके बाद लड़की की खोज शुरू हो जाती है. लड़की का किडनैप करने के पहले देखा जाता है कि लड़की स्वस्थ और सुंदर होनी चाहिए. इस क्रम में आमतौर पर कम उम्र की और गरीब घरों की लड़कियां इसका शिकार बनती हैं. लड़के अपने साथियों के साथ मिलकर उसे भीड़ भरी जगहों या फिर सीधे घर से अगवा कर लेते हैं. यहां से उसे लड़के के घर ले जाया जाता है, जहां प्रताड़ना शुरू हो जाती है. पहले लड़के के घरवाले, लड़की से बात करके उसे राजी करने की कोशिश करते हैं. आमतौर पर उम्र का फर्क ज्यादा होता है और लड़की इनकार कर देती है. ऐसे में लड़का पक्ष उसे भरसक मानसिक टॉर्चर करता है. यहां तक कि बहुत से मामलों में रेप भी करते हैं.
इस देश में एक बहुत बड़ी सामाजिक बुराई है, जिसमें अगवा की गई लड़की को उसके परिवार वाले नहीं अपनाते हैं. ऐसे में लड़की की मजबूरी भी होती है कि वह शादी के लिए हां कर दे. बहुत सारी लड़कियों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होता इसलिए लड़कियां शादी के लिए हां भी कर देती हैं. जो लड़की शादी के लिए हां नहीं करती उसके गले में जबरन सफेद स्कॉर्फ बांध दिया जाता है. जिसका मतलब है कि वो शादी के लिए राजी है. अगर लड़की किसी हाल में राजी न हो, तो उसकी हत्या भी हो सकती है. साल 2018 में इसी तरह के कई मामले आ चुके हैं. तब किर्गिस्तान में काफी धरना-प्रदर्शन भी हुए थे.
किर्गिस्तान में लड़कियों को अगवा कर रेप करना और शादी करना सामाजिक बुराई है, लेकिन सफेद स्कॉफ बांधने के बाद लड़की को उनके घर वाले नहीं अपनाते यह और भी बड़ी सामाजिक बुराई है. ऐसे में जब लड़कियों को अपने घर वालों का बी साथ नहीं मिलता तो वह देश से भागने के लिए मजबूर हो जाती हैं. बहुत सारी लड़की तो खुद से किसी के साथ शादी कर देश से बाहर तक जाने का कदम उठा रही हैं.
डेमोग्राफी में अगस्त 2017 की रिपोर्ट फोर्स्ड मैरिज एंड बर्थ आउटकम में माना गया कि जबरन शादी से जन्मे पहले बच्चे का वजन सामान्य शादियों की तुलना में काफी कम होता है. मां में तनाव और कमजोरी इसकी मुख्य वजह होती है. अक्सर शादी के बाद लड़की खेती और घर के काम अकेले ही संभालती है. वो एक तरह से बंधुवा मजदूर हो जाती है. इसीलिए यहां की लड़कियां रूस की तरफ माइग्रेट कर रहीं हैं. यहीं कारण है कि बीते कई सालों से इस किर्गिस्तान से महिलाओं का माइग्रेशन तेजी से बढ़ा है. रूस में ज्यादातर किर्गीज महिलाएं मजदूरी के लिए चली जाती हैं. यहां उन्हें अगवा किए जाने का डर नहीं रहता. वहीं पुरुष आर्थिक हालात सुधारने के लिए दूसरे देश जाते हैं.
किर्गिस्तान जब सोवियत संघ का हिस्सा था उस समय यहां ब्राइड किडनैपिंग पर रोक लगा दी गई थी. हालांकि उससे टूटने के बाद एक बार फिर ये प्रथा फलने-फूलने लगी. मानवाधिकार संस्थाएं इसका विरोध करती थीं, लेकिन उनके पास भी खास ताकत नहीं थी. असल में सोवियत से अलगाव के बाद किर्गिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर हो चुकी थी. ऐसे में शादी पर भारी-भरकम खर्च करने की बजाए लोग किडनैपिंग को ज्यादा अच्छा मानते थे. अगवा करके शादी में खर्च बच जाता था. हालांकि बहुत से प्रोटेस्ट और यूएन के दखल के बाद करीब 20 साल पहले ब्राइड किडनैपिंग को गैरकानूनी माना गया. क्रिमिनल कोड ऑफ किर्गीज रिपबल्कि के तहत इस पर कड़ी सजा और जुर्माना भी तय हुआ, लेकिन ग्रामीण इलाकों में सब वैसे ही चलता रहा. यहां बता दें कि देश की आधी से ज्यादा आबादी ग्रामीण ही है. First Updated : Saturday, 06 January 2024