Waqf bill 2024: किन इस्लामिक देशों में नहीं है वक्फ बोर्ड या संपत्ति का प्रावधान?
संसद में आज हो रही बहस के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि दुनिया में सबसे बड़ी निजी संपत्ति भारत के वक्फ बोर्ड के पास है. एक बार-बार पूछा जाने वाला सवाल यह है कि क्या अन्य इस्लामिक देशों में भी वक्फ संपत्ति स्थापित करने या उसके प्रबंधन की अनुमति है.

भारत की संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पर आज चर्चा हो रही है. यह संभावना जताई जा रही है कि लोकसभा में आठ घंटे की बहस के बाद इस विधेयक को पारित किया जा सकता है. इस विधेयक के माध्यम से वक्फ की परिभाषा और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं. सरकार का मानना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है. हालांकि, विपक्ष और कई प्रमुख मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि सरकार इस संशोधन के जरिए एक धर्म विशेष के अधिकारों को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही है.
कुछ इस्लामिक देशों में वक्फ की व्यवस्था नहीं
संसद में हो रही बहस के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि भारत के वक्फ बोर्ड के पास दुनिया में सबसे अधिक निजी संपत्ति है. इस पर बार-बार यह सवाल उठता है कि क्या अन्य इस्लामिक देशों में वक्फ संपत्ति का प्रबंधन और उसके लिए कानून की व्यवस्था है. सरकार के अनुसार, केवल कुछ इस्लामिक देशों में वक्फ की व्यवस्था नहीं है, जैसे तुर्की, लीबिया, इजिप्ट, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक. जबकि भारत जो एक सेक्यूलर देश है वक्फ बोर्ड बनाने और उसे कानूनी रूप से संरक्षित करने का अधिकार देता है.
वक्फ बोर्ड के अधिकार
केंद्र सरकार का कहना है कि वह नए कानून के माध्यम से वक्फ बोर्ड के अधिकारों को छीनने की बजाय, उसमें अधिक पारदर्शिता लाने की दिशा में काम कर रही है. वक्फ से संबंधित कानून कई देशों में हैं, जैसे मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, यूएई, बांग्लादेश, पाकिस्तान और ओमान में. इन देशों में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है. भारत में वक्फ बोर्ड केंद्र के साथ-साथ राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के स्तर पर भी मौजूद हैं. वहीं, इंडोनेशिया और बांग्लादेश में यह राष्ट्रीय स्तर पर है, जबकि यूएई में यह प्रांत स्तर पर लागू है.
भारत में वक्फ बोर्ड के संरक्षण में लगभग 8 लाख 70 हजार संपत्तियां हैं, जो लगभग 9 लाख 40 हजार एकड़ क्षेत्र में फैली हुई हैं. इन संपत्तियों की अनुमानित कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. सरकार का मानना है कि इन संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करने से हजारों करोड़ रुपये की आय हो सकती है, जिसका उपयोग मुस्लिम छात्रों और परिवारों की भलाई के लिए किया जा सकता है.
वक्फ संपत्तियों से संबंधित एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या वक्फ घोषित की गई संपत्ति को फिर से मालिकाना हक में लिया जा सकता है. इसका जवाब है, नहीं. क्योंकि वक्फ घोषित करते वक्त संपत्ति को अल्लाह के नाम कर दिया जाता है और इसे फिर से हासिल नहीं किया जा सकता. उदाहरण के तौर पर, बेंगलुरू के ईदगाह ग्राउंड पर 1850 से वक्फ का दावा किया जा रहा है.