नए आर्मी चीफ किन मामलों में हैं एक्सपर्ट जानिए सेनाध्यक्ष को क्या-क्या सुविधाएं देती है सरकार

उपेंद्र द्विवेदी 30 जून को अगले थल सेनाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालेंगे. वो मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे की जगह लेंगे. मोदी सरकार ने मंगलवार की रात नए आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट के रूप में द्विवेदी के नाम की घोषणा की है. उन्हें चीन और पाकिस्तान के सीमाओं पर अभियानों का अनुभव है. तो चलिए उनके अब तक के कामों पर एक नजर डालते हैं. साथ ही ये भी जानते हैं कि, सेना अध्यक्ष बनने पर सरकार से क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं.

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New Army Chief: नए आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी का जन्म 1 जुलाई 1964 को हुआ है. वह सैनिक स्कूल रीवा, राष्ट्रीय रक्षा एकेडमी खड़कवासला के पूर्व छात्र रहे हैं. भारत सरकार ने उन्हें सीमा मुद्दे सुलझाने के लिए सेनाध्यक्ष के पद पर नियुक्त करने का फैसला लिया है. नए आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर ऑपरेशन के एक्सपीरियंस के लिए जाने जाते हैं. वे चीन-पाक की रग-रग से वाकिफ हैं. उन्हें उनकी बहादुरी और काम के लिए परम विशिष्ट सेवा पद (PVSM), अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM) से सम्मानित किया गया है. इसके अलावा जीओसी-इन-सी कमांडेशन कार्ड्स से भी नवाजे जा चुके हैं. 30 जून से उप्रेंद्र द्विवेदी अगले सेना प्रमुख के कार्यभार संभालेंगे.

नए आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने काफी समय तक जम्मू कश्मीर में सेवाएं दी हैं. उन्हें साल 1948 में जम्मू और कश्मीर राइफल्स में नियुक्त किया गया था बाद में उन्होंने जम्मू-कश्मीर यूनिट की कमान भी संभाली. उन्हें उत्तरी और पश्चिमी दोनों थिएयरों को संतुलित एक्सपोशर का अनूठा गौरव प्राप्त है. 40 वर्षों की लंबी और प्रतिष्ठित सेवा के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने विभिन्न कमांड, स्टाफ, कंस्ट्रक्शन और विदेशी नियुक्तियों में काम किया है.

इन मामलों में एक्सपर्ट हैं उपेंद्र द्विवेदी

भारत के नए सेनाध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी कई मामलों में एक्सपर्ट हैं. उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिगटन एंड आर्मी वॉर कॉलेज महू से भी कोर्स किया है. उनके पास डिफेंस एंड मैनेजमेंट स्टडीज में एमफिल और स्ट्रैटेजिक स्टडीज व मिलिट्री साइंस में दो मास्टर डिग्री हासिल किए हैं. द्विवेदी के बारे में कहा जाता है कि वो मुश्किल से मुश्किल सीमा मुद्दे को सुलझा देते हैं इसलिए उन्हें सक्रिय रूप से भारतीय सेना की सबसे बड़ी कमान दी जा रही है. उन्हें बख्तरबंद ब्रिगेट, माउंटेन डिवीजन, स्ट्राइक कोर का बेहद एक्सपीरियंस है. इसके अलावा उन्होंने सेना में बिग डेटा, एआई क्वांटम और ब्लॉकचेन इस्तेमाल शामिल किया है.

इन पदों की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं नए सेनाध्यक्ष

39 साल के अबतक के सफर में नए सेनाध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी कई शानदान काम किए हैं. देश के कोने-कोने में उन्होंने चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन एनवायरनमेंट में कमान संभाली है. उन्होंने कश्मीर घाटी के अलावा राजस्थान में अपनी यूनिट कमान संभाली है. वे उत्तर पूर्व में सेक्टर कमांडर और असम में राइफल्स के इंस्पेक्टर जनरल की जिम्मेदारी में निभा चुके हैं. इसके अलावा पश्चिमी सीमाओं पर ऑपरेशन रोल के साथ राइजिंग स्टार पोस्ट की कमान संभाल चुके हैं. वहीं अब चीन-पाक सीमा विवाद मुद्दे को सुलझाने के लिए सेनाध्यक्ष की पद की जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं.

सेनाध्यक्ष को कितनी सैलरी देती है सरकार

आपको बता दें कि, सेनाध्यक्ष पद की स्थापना 1955 में भारतीय  संसद द्वारा पारित द कमांडर इन चीफ, आर्मी (चेंज इन डेसिग्नेशन) एक्ट के अंतर्गत हुई थी. इससे पहले इस पद का नाम कमांडर इन चीफ था. सेनाध्यक्ष का कार्यालय दिल्ली की रायसीना हिल्स में स्थित केन्द्रीय सचिवालय के साऊथ ब्लॉक में है. सेनाध्यक्ष को सरकार की ओर से अच्छी सैलरी के साथ कई सुविधाएं भी मिलती है. भारतीय सेना के अध्यक्ष या जनरल और लेफ्टिनेंट जनरल की सैलरी फिक्स होती है. दोनों अधिकारियों की सैलरी एक समान होती है उन्हें 2,50,000 रुपये फिक्स सैलरी मिलती है.

सेनाध्यक्ष को क्या-क्या सुविधाएं देती है सरकार

भारतीय सेना के अधिकारियों को सैलरी और हाउस रेंट अलाउंट के अलावा बहुत सारे भत्ते मिलते हैं. जैसे- परिवहन भत्ता, सैन्य सेवा वेतन, आतंकवाद विरोधी, वर्दी भत्ते, फील्ड एरिया अलाउंस, पैराशूट वेतन, उच्च ऊंचाई भत्ता, इसके साथ ही उन्हें 20 दिनों की कैजुअल छुट्टी भी मिलती है. भारतीय सेना के अन्य भत्तों में हवाई/रेल यात्रा रियायत, फ्री मेडिकल सुविधाएं, लोन पर कम-ब्याज दरें और कैंटीन सुविधाएं, राशन, और अन्य शामिल है. इसके अलावा आजीवन पेंशन व महंगाई भत्ता जो असैन्य कर्मियों के समान होता है. डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी और विदेशी पोस्टिंग की भी सुविधाएं मिलती हैं.

First Updated : Wednesday, 12 June 2024