Independence Day 2023: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को 77वां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 10वीं बार लाल किला पर ध्वजा रोहण करेंगे और देश को संबोधित करेंगे. ऐसे में आपके मन में कभी न कभी सवाल आया होगा कि जब 15 अगस्त को लाल किले पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते है तो 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन वह ध्वजा रोहण क्यों नहीं करते है. जैसे कि आप जानते होंगे देश के 26 जनवरी को लाल किले पर राष्ट्रपति तिरंगा फहराते है.
दरअसल, 15 अगस्त 1947 के दिन जब भारत को आजादी मिली थी उस समय देश के मुखिया प्रधानमंत्री ही थे इसी वजह से आजादी मिलने पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर पहली बार ध्वजारोहण किया था.
लेकिन आजादी के बाद जब 26 जनवरी 1950 में देश का संविधान लागू किया गया तो राष्ट्रपति की शपथ ले चुके डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के संवैधानिक प्रमुख थे और ऐसे में गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्होंने झंडा फहराया था. उस समय से लेकर आज तक चली आ रही प्रथा कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं.
नाम | कितनी बार फहराया |
पंडित जवाहरलाल नेहरु | 17 |
इंदिरा गांधी | 16 |
मनमोहन सिंह | 10 |
अटलबिहारी वाजपेयी | 6 |
राजीव गांधी | 5 |
पीवी नरसिम्हा राव | 5 |
लाल बहादुर शास्त्री | 2 |
मोरारजी देसाई | 2 |
चौधरी चरण सिंह | 1 |
विश्वनाथ प्रताप सिंह | 1 |
इन्द्र कुमार गुजराल | 1 |
चंद्र शेखर | 0 |
एचडी देवगौड़ा | 1 |
नरेंद्र मोदी | 9 अब तक (10)- 2023 |
पीएम के लाल किला पर ध्वजारोहण की कैसे शुरु हुई प्रथा
राजनीति में प्रतीकों का बहुत महत्व होता है, यही कारण है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से पहली बार अंग्रेजी हुकुमत का झंडा उतारकर भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराकर लगाया था. जिसके बाद लाल किला देश में सत्ता के केंद्र बनाया. उसके बाद से यह प्रथा लगातार चली आ रही है और हर साल देश के प्रधानमंत्री लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हैं.
First Updated : Monday, 14 August 2023