भारत और चीन की 33वीं बैठक, LAC पर समाधान की दिशा में एक और कदम!
भारत और चीन के बीच बीजिंग में एक अहम बैठक हुई जिसमें दोनों देशों ने सीमा मुद्दों पर चर्चा की. इस बैठक में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) की स्थिति पर ध्यान दिया गया और सीमा पार सहयोग को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी. खासतौर पर कैलाश-मानसरोवर यात्रा और सीमा पार नदियों पर सहयोग बढ़ाने के बारे में बात की गई. दोनों देशों ने इस मुद्दे पर आगे की रणनीति पर चर्चा की और अगले कुछ महीनों में एक और महत्वपूर्ण बैठक की योजना बनाई. जानिए इस बैठक के बाद दोनों देशों के रिश्तों में क्या बदलाव आएंगे.

India and China 33rd Meeting: भारत और चीन ने हाल ही में बीजिंग में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने सीमा मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की. यह बैठक भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय हेतु कार्य तंत्र (WMCC) की 33वीं बैठक थी. बैठक में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति की समीक्षा की गई और दोनों देशों ने इस पर सकारात्मक कदम उठाने पर सहमति जताई.
LAC पर सीमा पार सहयोग और आदान-प्रदान पर सहमति
बैठक में दोनों पक्षों ने एलएसी पर सीमा पार सहयोग और आदान-प्रदान को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने पर भी सहमति दी. इसमें खासकर सीमा पार की नदियों और कैलाश-मानसरोवर यात्रा पर सहयोग और आदान-प्रदान को लेकर बातचीत हुई. यह कदम भारत और चीन के बीच सीमा से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
भारत-चीन के उच्च अधिकारियों की बैठक
भारत का प्रतिनिधिमंडल विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास द्वारा नेतृत्वित था, जबकि चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक हांग लियांग ने किया. दोनों देशों के बीच यह बैठक सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई, जहां वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति की व्यापक समीक्षा की गई.
स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स (SRs) की आगामी बैठक की तैयारी
बैठक के बाद, दोनों देशों ने सीमा मुद्दों पर अगले विशेष प्रतिनिधियों की बैठक के लिए "पर्याप्त तैयारी" करने का आश्वासन दिया, जो इस वर्ष दिल्ली में आयोजित की जाएगी. इसके अलावा, दोनों देशों ने एलएसी पर मुद्दों के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य दोनों तंत्रों को बनाए रखने और मजबूत करने पर भी सहमति जताई.
प्रधानमंत्री मोदी का चीन से संबंधों पर सकारात्मक बयान
इस बैठक से कुछ दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ भारत के संबंधों को लेकर सकारात्मक टिप्पणी की थी. उन्होंने चीन के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की बात की, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि यह प्रतिस्पर्धा कभी भी संघर्ष में नहीं बदलनी चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी बल दिया कि भारत और चीन के बीच विश्वास और ऊर्जा को पुनर्निर्मित करना आवश्यक है ताकि दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत और सहयोगी बनें.
दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की दिशा में कदम
यह बैठक दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाने और सीमा पर शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के प्रयासों के साथ उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी बैठक में और भी ठोस फैसले लिए जाएंगे. भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव को कम करने के लिए यह बैठक एक सकारात्मक पहल साबित हो सकती है. दोनों देशों के प्रतिनिधियों की वार्ता से यह स्पष्ट होता है कि एलएसी पर स्थिति को लेकर दोनों पक्ष गंभीर हैं और इस मुद्दे का समाधान जल्द से जल्द निकालने की कोशिश की जाएगी.