भारत और ईरान के बीच तेल व्यापार में समाधान की उम्मीद, प्रतिबंधों के बावजूद नए द्विपक्षीय सहयोग की दिशा
ईरान और भारत के बीच तेल व्यापार में एक नया मोड़ आ सकता है। ईरान ने भारत से अपील की है कि वह अपने प्रतिबंधों के बावजूद ईरानी तेल का आयात फिर से शुरू करे। इस बीच, दोनों देशों के बीच चाबहार बंदरगाह और पेट्रोकेमिकल्स जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात भी चल रही है। ईरान ने अफगानिस्तान और सीरिया जैसी विवादित जगहों पर अपने दृष्टिकोण को भी साझा किया है। क्या ईरान और भारत के रिश्तों में यह नया बदलाव होगा? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर!
India-Iran Oil Trade: भारत और ईरान के बीच तेल व्यापार को लेकर लंबे समय से चली आ रही असमानता और मतभेदों का समाधान अब नजर आ सकता है। ईरान, जो पश्चिमी देशों से प्रतिबंधों के कारण कई मुश्किलों का सामना कर रहा है, भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिशों में है।
तेल व्यापार में असमानता और समाधान की दिशा
हाल ही में, ईरान ने भारत से उम्मीद जताई कि वह भविष्य में ईरानी तेल का आयात फिर से शुरू करेगा। सूत्रों के अनुसार, भारतीय रिफाइनरी पहले भी ईरानी तेल का उपयोग कर चुकी हैं, हालांकि पेट्रोलियम की गुणवत्ता में मामूली अंतर था, जिसको रिफाइनरियों को एडजस्ट करना पड़ता था। इस बीच, रूस से तेल आयात में भारत कोई संकोच नहीं करता है, जबकि ईरान से तेल नहीं खरीदने का एक बड़ा कारण पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध हैं।
ईरान, इस असमानता को लेकर भारत के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है। ईरानी अधिकारियों का कहना है कि वे भारत के लिए किसी भी तरह की कठिनाई पैदा नहीं करना चाहते, बल्कि इसका समाधान चाहते हैं। इसी क्रम में, चाबहार बंदरगाह पर विकसित होने वाले परियोजनाओं और पेट्रोकेमिकल्स के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।
चाबहार बंदरगाह और पेट्रोकेमिकल्स में सहयोग
ईरान का मानना है कि चाबहार बंदरगाह, जो मध्य एशिया और काकेशस देशों का प्रवेश द्वार है, पर अधिक तेजी से काम किया जा सकता था। वे चाहते हैं कि इस क्षेत्र में भारतीय निवेश बढ़े और दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी मजबूत हो।
परमाणु नीति और सीरिया-यमन में स्थिति
ईरान ने अपनी परमाणु नीति को लेकर भी बयान दिया है। ईरान का कहना है कि उनका कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और इसमें किसी प्रकार का कोई छुपा हुआ मकसद नहीं है। इसके अलावा, सीरिया और यमन जैसे राजनीतिक संकटों पर भी ईरान की अपनी राय है। ईरान की इच्छा है कि सीरिया में असद सरकार के नेतृत्व में स्थिरता आए और यमन के संघर्षों में शांति की स्थापना हो।
तालिबान से रिश्ते और अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति
ईरान ने अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं के अधिकारों की कड़ी आलोचना की है। ईरान के सूत्रों का कहना है कि तालिबान के शासन में लड़कियों को स्कूलों या विश्वविद्यालयों में न जाने देना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। इसके कारण, ईरान में बहुत सी अफगान लड़कियां पढ़ाई करने आ रही हैं। ईरान ने तालिबान को मान्यता नहीं दी है और उन्होंने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि वे एक समावेशी सरकार के पक्षधर हैं।
ईरान और पाकिस्तान के रिश्ते
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों से परे, ईरान और पाकिस्तान के बीच भी कुछ मतभेद हैं, लेकिन ईरान का मानना है कि अच्छे रिश्ते दोनों देशों के बीच समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। इस प्रकार, ईरान भारत के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्तों में नई दिशा देने के लिए तैयार है, जहां न सिर्फ तेल व्यापार, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने की संभावना है।