"भारत को अपनी खुद की राह चुननी होगी - मोहन भागवत का आत्मनिर्भर भारत का संदेश"
RSS प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुग्राम में 'विविभा: 2024' सम्मेलन के दौरान कहा कि भारत को शिक्षा, विकास और पर्यावरण के संतुलन में अपनी खुद की राह तय करनी होगी. उन्होंने शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी तक सीमित न रखते हुए समाज की भलाई और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया. साथ ही, 'विजन 2047' के तहत भारत को दुनिया में एक मिसाल बनाने की बात कही. जानिए कैसे भागवत का यह विचार भारत को एक सशक्त और समर्थ राष्ट्र बना सकता है.
Mohan Bhagwat Call for Self Reliance: गुरुग्राम के एसजीटी विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय 'विविभा: 2024' सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने देश के शिक्षा और शोध क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए उन्होंने 'विजन फॉर विकसित भारत' की थीम पर भारत के भविष्य की दिशा और दिशा-निर्देशों पर गहरी चर्चा की. साथ ही, उन्होंने भारतीय शिक्षण मंडल की शोध पत्रिका ‘प्रज्ञानम’ का लोकार्पण भी किया.
विकास और पर्यावरण का संतुलन आवश्यक
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि भारत के विकास के लिए हमें संतुलन बनाए रखना होगा, जहां हम तकनीकी उन्नति करते हुए भी पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करें. उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल विकास पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी उतना ही महत्वपूर्ण है. उनका मानना है कि भारत को एक ऐसा मॉडल बनना चाहिए जहां विकास और प्रकृति दोनों का सम्मान हो.
शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी नहीं, समाज की उन्नति हो
भागवत ने शिक्षा के बाजारीकरण पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार तक सीमित नहीं होना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा का असली मकसद समाज को सही दिशा में ले जाना और नैतिकता व ज्ञान का विकास करना होना चाहिए. भागवत के अनुसार, शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना बेहद आवश्यक है ताकि भारत एक सक्षम और समृद्ध राष्ट्र बन सके.
'विजन 2047' की दिशा में कदम
भागवत ने 'विजन 2047' की बात करते हुए कहा कि अगर हम आज ठोस कदम उठाएं, तो अगले 20 वर्षों में भारत विश्व में अग्रणी बन सकता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिक्षा पर दिए गए विचारों का भी समर्थन किया और कहा कि विचारों को हकीकत में बदलने के लिए ठोस प्रयास और दिशा में काम करना होगा. भागवत के अनुसार, हमें अपनी राह खुद तय करनी होगी और किसी अन्य देश का अंधानुकरण करने की बजाय अपनी विशेषताओं को निखारना होगा.
हर भारतीय का समग्र विकास ही लक्ष्य
अपने विचारों को समेटते हुए भागवत ने स्पष्ट कहा कि भारत का विकास तब ही संभव है जब हर नागरिक का समग्र विकास हो. उन्होंने आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए कहा, "हमें खुद के प्रतिमान स्थापित करने होंगे और भारत को नंबर 1 बनाना होगा.'' उनका मानना है कि शिक्षा और विकास के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनना होगा और खुद के लिए एक अलग राह चुननी होगी. डॉ. मोहन भागवत ने गुरुग्राम में आयोजित 'विविभा: 2024' सम्मेलन में शिक्षा और विकास के मुद्दों पर गहन विचार साझा किए. उन्होंने आत्मनिर्भरता, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा का सही उद्देश्य और ‘विजन 2047’ की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया. भारत को एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए हर भारतीय का समग्र विकास ही उनका सपना है.