आत्महत्या करने वाले छात्रों की बढ़ी संख्या, इन राज्य सबसे ज्यादा मामले, पढ़ें
Suicide Case Increase: आज के समय में लोग जिंदगी की परेशानियों से जल्दी हार मान लेते हैं, लोगों को अदंर परेशानियों को हेन्डल करने की क्षमता काफी कम हो गई, जिससे वो आखिर में आत्महत्या करने को चुनते हैं. ऐसे में भारत में 4 फीसदी आत्महत्या के मामले बढ़ गए हैं. जिससे छात्र सबसे ज्यादा हैं. जी हां, आईसी-3 रिपोर्ट में खुलासा है कि जान देने वाले विद्यार्थियों में 53% छात्र हैं.
Suicide Case Increase: भारत में छात्रों की आत्महत्या की घटनाएं महामारी का रूप ले चुकी हैं. हाल ये हो गया है कि छात्रों की आत्महत्या की दर समग्र आत्महत्या प्रवृत्तियों की दर से भी काफी ज्यादा है. भारत में 4 फीसदी आत्महत्या करने की संख्या बढ़ गई हैं. भरत में फैलती महामारी रिपोर्ट बुधवार को वार्षिक आईसी-3 सम्मेलन में जारी की गई. रिपोर्ट में बताया गया है कि जहां आत्महत्या की घटनाओं की संख्या में प्रतिवर्ष दो प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं छात्र आत्महत्या के मामलों में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
छात्र आत्महत्या के मामलों की कम रिपोर्टिंग होने की संभावना है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले दशक में 0-24 वर्ष की आयु के बच्चों की जनसंख्या 58.2 करोड़ से घटकर 58.1 करोड़ हो गई, जबकि छात्र आत्महत्याओं की संख्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई. आईसी3 संस्थान एक स्वयंसेवी आधारित संगठन है, जो दुनिया भर के उच्च विद्यालयों को उनके प्रशासकों, शिक्षकों और परामर्शदाताओं के लिए मार्गदर्शन और प्रशिक्षण संसाधनों के माध्यम से सहायता प्रदान करता है.
जान देने वाले इतने % छात्र
आईसी3 इंस्टीट्यूट की ओर से संकलित रिपोर्ट में बताया गया, 2022 में कुल छात्र आत्महत्या के मामलों में 53 प्रतिशत पुरुष छात्रों ने खुदकुशी की. 2021 और 2022 के बीच, छात्रों की आत्महत्या में 6 प्रतिशत की कमी आई जबकि छात्राओं की आत्महत्या में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं. ऐसे में आप देख सकते हैं कि कैसे लोगों का मनोबल आसानी से टूट जाता है.
महाराष्ट्र, तमिलनाडु में ज्यादा घटनाएं
रिपोर्ट के अनुसार मिली जानकारी में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश वो राज्य हैं, जहां छात्र सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं. यहां जितने छात्र आत्महत्या करते हैं वह देश में होने वाली कुल आत्महत्याओं का एक तिहाई है, जबकि अपने उच्च शैक्षणिक वातावरण के लिए जाना जाने वाला राजस्थान 10वें स्थान पर है, जो कोटा जैसे कोचिंग केंद्रों से जुड़े गहन दबाव को दर्शाता है.
पुलिस रिपोर्ट पर आधारित
एनसीआरबी के आंकड़े पुलिस की ओर से दर्ज की गई प्राथमिकी रिपोर्ट (एफआईआर) पर आधारित है. हालांकि, ये स्वीकार करना जरूरी है कि छात्रों की आत्महत्या की वास्तविक संख्या संभवतः कम रिपोर्ट की गई है. इस कम रिपोर्टिंग के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, जिसमें आत्महत्या से जुड़ा सामाजिक कलंक और भारतीय दंड संहिता की धारा 309 के तहत आत्महत्या के प्रयास और सहायता प्राप्त आत्महत्या का अपराधीकरण शामिल है.