भारत ने रोका नदी जल, पाकिस्तान की जीडीपी को लग सकता है झटका
कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान भेजना रोक दिया है. यह पानी भारत से चार बांधों के माध्यम से पाकिस्तान जाता था. इस फैसले से पाकिस्तान में जल संकट और कृषि प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है.

भारत द्वारा स्लुइस गेट बंद कर देने के कारण सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का पानी पाकिस्तान नहीं जा पा रहा है, जिससे वहां गंभीर जल संकट पैदा हो सकता है. ये तीनों नदियाँ पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से होकर गुजरती हैं और कृषि व अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार मानी जाती हैं. सिंधु नदी पाकिस्तान के अटोक, गिलगिट, थट्टा, कराची, जमशोरो, रावलपिंडी, कोट मिथन और पेशावर जैसे बड़े शहरों से गुजरती है. झेलम नदी मुजफ्फराबाद, न्यू मिरपुर सिटी और झांग से होकर बहती है, जबकि चेनाब नदी सियालकोट और कोट मिथन को प्रभावित करती है.
भारत के इस कदम से पाकिस्तान खासकर पंजाब और सिंध प्रांत में संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि यहां की कृषि इन नदियों के पानी पर अत्यधिक निर्भर है. सिंधु, झेलम और चेनाब नदियाँ इन इलाकों में सिंचाई का मुख्य स्रोत हैं. जब इन नदियों का जल प्रवाह कम हो जाएगा, तो फसलें सूखने लगेंगी और उत्पादन पर असर पड़ेगा. परिणामस्वरूप, पाकिस्तान की खाद्य सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है.
पाकिस्तान की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान
पाकिस्तान की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 21 फीसदी है और यह देश के लगभग 45 प्रतिशत कार्यबल को रोजगार देता है. अगर पानी की उपलब्धता नहीं रही, तो न केवल उत्पादन गिरेगा, बल्कि बेरोजगारी का स्तर भी तेजी से बढ़ेगा. विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में इसका प्रभाव अधिक देखने को मिलेगा, जहां अधिकांश लोग कृषि पर ही निर्भर हैं. इससे सामाजिक असंतोष, पलायन और अशांति जैसी स्थितियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं.
सिंधु जल संधि के तहत जल बंटवारा
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि के तहत जल बंटवारा हुआ था, लेकिन अगर भारत पानी रोकने के अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग करता है, तो पाकिस्तान को भारी आर्थिक और सामाजिक नुकसान झेलना पड़ सकता है. यह कदम भले ही रणनीतिक हो, लेकिन इसका प्रभाव पाकिस्तान के आम नागरिकों पर गंभीर रूप से पड़ सकता है.


