42 घंटे का सफर, लेकिन 3 साल 8 महीने तक रास्ते में भटकती रही ट्रेन... जानिए भारत की सबसे ज्यादा लेट ट्रेन की कहानी
आमतौर पर ट्रेनें कुछ घंटे या एक-दो दिन लेट होती हैं लेकिन क्या हो अगर कोई ट्रेन 3 साल 8 महीने बाद अपने गंतव्य पर पहुंचे? आंध्र प्रदेश से उत्तर प्रदेश जाने वाली एक मालगाड़ी रास्ते में 'गायब' हो गई और जब पहुंची तो व्यापारी भी हैरान रह गया. आखिर ये ट्रेन कहां भटक गई थी? रेलवे को इसकी भनक क्यों नहीं लगी और इसकी देरी की असली वजह क्या थी? जानिए इस अजीबोगरीब घटना की पूरी कहानी…

India's most delayed train: भारत में ट्रेनें लेट होना आम बात है कभी एक-दो घंटे तो कभी पूरी रात लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई ट्रेन 3 साल 8 महीने तक रास्ते में ही अटकी रह जाए? जी हां ये कोई मजाक नहीं बल्कि भारतीय रेलवे की हकीकत है. एक ऐसी मालगाड़ी, जिसे आंध्र प्रदेश से उत्तर प्रदेश के बस्ती तक सिर्फ 42 घंटे में पहुंचना था उसे इस सफर को पूरा करने में 3 साल 8 महीने लग गए.
रेलवे का अजब-गजब कारनामा
रेलवे हर रोज हजारों ट्रेनें अलग-अलग रूट्स पर चलाता है. इनमें से कुछ ट्रेनें खराब मौसम, तकनीकी खराबी या अन्य कारणों से लेट हो जाती हैं लेकिन इस ट्रेन की देरी का कोई जवाब ही नहीं था. ये ट्रेन नवंबर 2014 में विशाखापट्टनम से निकली थी और जुलाई 2018 में बस्ती पहुंची. सोचिए जिस व्यापारी ने इस ट्रेन से माल मंगवाया था उसने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उसे इतनी लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी.
आखिर था क्या इस ट्रेन में?
बस्ती के एक व्यापारी ने इंडियन पोटाश लिमिटेड से डाय अमोनियम फॉस्फेट (DAP) मंगवाया था. यह खाद किसानों के लिए बेहद जरूरी था लेकिन ट्रेन के गायब होने से व्यापारी को भारी नुकसान हुआ. रेलवे को कई बार शिकायतें दी गईं लेकिन किसी के पास इसका कोई जवाब नहीं था.
रास्ते में ही 'गायब' हो गई ट्रेन
अब सवाल उठता है कि आखिर यह ट्रेन इतनी देर तक कहां थी? रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेलवे प्रशासन को भी यह पता नहीं था कि यह ट्रेन कहां गई. जब व्यापारी ने लगातार शिकायतें दर्ज करवाईं तब कहीं जाकर जांच शुरू हुई. पता चला कि यह मालगाड़ी रास्ते में ही कहीं भटक गई थी.
रेलवे यार्ड में खड़ी रही ट्रेन?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि जब कोई डिब्बा या बोगी यात्रा के लिए 'अनफिट' पाई जाती है तो उसे किसी यार्ड में भेज दिया जाता है. संभावना है कि इस ट्रेन के साथ भी ऐसा ही हुआ हो और यह किसी यार्ड में लंबे समय तक खड़ी रही. लेकिन सवाल ये है कि अगर ऐसा था तो रेलवे को इतनी बड़ी चूक का पता क्यों नहीं चला?
इतनी देरी का असली कारण अब तक रहस्य!
कई सालों बाद जब ट्रेन आखिरकार बस्ती पहुंची तब भी रेलवे के पास इसकी देरी का ठोस जवाब नहीं था. आज भी यह एक पहेली बनी हुई है कि इस ट्रेन को आखिर इतना वक्त क्यों लगा? हालांकि, इस घटना ने भारतीय रेलवे की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं.
रेलवे में सुधार की जरूरत
इस घटना ने दिखाया कि रेलवे की लापरवाही सिर्फ यात्रियों को ही नहीं बल्कि व्यापारियों और देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा सकती है. अगर कोई ट्रेन सालों तक गायब रह सकती है तो यह सोचकर ही डर लगता है कि यात्रियों की सुरक्षा और समयबद्धता को लेकर रेलवे कितना गंभीर है. ये मामला भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे ज्यादा लेट होने वाली ट्रेन के रूप में दर्ज हो गया है. अब देखना ये होगा कि भविष्य में रेलवे इस तरह की लापरवाहियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाता है.