Indian Economy Under Control: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरी दुनिया एक आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रही थी. इस युद्ध ने भारत की अर्थव्यवस्था को भी गहरे प्रभावित किया, खासकर एनर्जी सेक्टर पर इसका खासा असर पड़ा. जंग के कारण रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगा दिए. इससे भारत के लिए संकट की स्थिति बनी क्योंकि हम अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करते हैं. हालांकि, मोदी सरकार की सफल कूटनीति ने इसका रास्ता निकाला और भारत में स्थिरता का माहौल पैदा किया.
यूरोपीय देशों ने रूस से तेल की आपूर्ति बंद होने के बाद अन्य स्रोतों की तलाश की जिससे वैश्विक तेल की मांग और कीमतें बढ़ गईं. इसका सीधा असर भारत पर पड़ा, जहां महंगाई और आयात संकट गहरा होता गया. क्योंकि, भारत अपनी तेल ज़रूरतों का लगभग 80% आयात करता है. हालांकि, सरकार ने बीच का रास्ता निकाल लिया.
भारत ने पश्चिमी देशों के साथ संतुलन बनाते हुए रूस से तेल आयात जारी रखा. यह कूटनीतिक चाल इस बात का प्रमाण है कि मोदी सरकार ने वैश्विक संकट के बावजूद आर्थिक स्थिरता बनाए रखी. प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा और उसकी मात्रा को भी बढ़ाया. यह कदम भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हुआ क्योंकि इससे महंगे तेल के आयात से बचा गया. इससे घरेलू महंगाई पर नियंत्रण में रही.
रूस-यूक्रेन युद्ध का एक प्रमुख प्रभाव वैश्विक तेल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव था. भारत के लिए, यह स्थिति बड़ी चुनौती हो सकती थी, लेकिन रूस से सस्ता तेल आयात करने के फैसले ने स्थिति को संभालने में मदद की. इससे भारत में तेल की कीमतों में बड़े उछाल को रोका गया. भारत सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए ईंधन पर सब्सिडी भी दी, जिससे उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ कम हुआ.
रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक अस्थिरता के बीच, मोदी सरकार की रणनीतिक कूटनीति ने भारत को आर्थिक संकट से उबरने में मदद की. तेल आपूर्ति और महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखना सरकार की सफलता का प्रमाण है, जिसने वैश्विक संकट के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखा.