जब 2 साल के वरुण के लिए इंदिरा से भिड़ गईं थी मेनका, आधी रात को बुलाने पड़े वकील

Varun Gandhi: गांधी परिवार के सदस्य वरुण गांधी जब दो साल के थे जब उनकी मां उन्हें गांधी परिवार से अलग लेकर जा रही थीं. जानिए आखिर क्या मजबूरी थी.

Tahir Kamran
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भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पांचवी लिस्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए. कई बड़े हस्तियों को टिकट देने के साथ-साथ कुछ बड़े नामों को साइड लाइन भी कर दिया है. इसमें सबसे बड़ा नाम वरुण गांधी का है. भाजपा ने वरुण गांधी के चुनावी क्षेत्र पीलीभीत से कांग्रेस छोड़कर आने वाले जितिन को अपना उम्मीदवार बनाया है. अब सभी लोग वरुण गांधी के अगले कदम के बारे में सोच रहे हैं. खबरों में दावा किया जा रहा है कि वरुण गांधी के पास कांग्रेस ज्वाइन करने, सपा के टिकट से चुनाव लड़ने या फिर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के ऑप्शन हैं. 

हालांकि हम इस सबसे अलग अपनी खास सीरीज 'नायक' में वरुण गांधी की कहानी बताने जा रहे हैं. हम बताएंगे कि किस तरह दो साल के वरुण गांधी को लेकर उनकी मेनका गांधी और दादी इंदिरा गांधी के बीच लड़ाई हो गई थी. बात यहां तक पहुंच गई थी कि रात में ही कानून के एक्सपर्ट्स लोगों को बुलाया गया था. जिसके बाद इंदिरा गांधी को हार माननी पड़ी थी.

वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी
वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी

कैसे अलग हुई मेनका गांधी

दरअसल यह तो सभी जानते हैं कि मेनका गांधी किस तरह गांधी परिवार से अलग हुई थीं. अगर आप नहीं जानते हैं तो शॉर्ट में हम आपको बता देते हैं कि संजय गांधी की मौत के बाद से ही मेनका गांधी और इंदिरा गांधी के बीच विवाद पैदान होने शुरू हो गए थे. क्योंकि संजय गांधी के बाद इंदिरा गांधी चाहती थी कि राजीव गांधी को सियासत में आगे बढ़ाया जाए. जबकि मेनका गांधी उनके इस कदम से खुश नहीं थीं. संजय की विरासत राजीव गांधी के हाथों में जाता देख मेनका गांधी और इंदिरा गांधी के बीच छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई होती रहती थी. 

मेनका गांधी को घर छोड़ने को कहा

इसी बीच इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहते हुए विदेश यात्रा पर गई थीं और इस दौरान मेनका गांधी ने कुछ ऐसा कर दिया था जो इंदिरा गांधी बिल्कुल भी पसंद नहीं आया. जैसे ही विदेश दौरे से वापस लौटीं तो मेनका गांधी पर भड़क गई थीं. कहा तो यहां तक भी जाता है कि इंदिरा गांधी ने मेनका गांधी परिवार के साथ खाना खाने तक की इजाज़त नहीं दी थी. उनके लिए उनके कमरे में खाना पहुंचाया गया था. हालांकि इंदिरा ने मेनका गांधी से मुलाकात की, जिसमें कई मुद्दों पर तीखी चर्चा हुई और आखिर में इंदिरा ने मेनका को घर से जाने को कह दिया था. 

"यह घर प्रधानमंत्री का है"

परेशान मेनका गांधी ने अपनी बहन को फोन किया और आपबीती सुनाई. मेनका ने बहन को बताया कि उन्हें सामान तक रखने की इजाज़त नहीं दी गई है. इंदिरा गांधी ने कहा था कि तुम्हारा सामान भिजवा दिया जाएगा. इसके बाद उनकी बहन अंबिका ने उन्हें अपने घर आने को कहा. हालांकि आखिर में अंबिका ही मेनका के घर पहुंच गई थीं. अंबिका वहां पर पहुंची और सामान इकट्ठा करने लगीं. इस पर इंदिरा गांधी ने कहा कि मैंने कहा था कि सामान नहीं लेकर जाना, तो अंबिका ने कहा कि यह घर मेनका का भी है. इस पर इंदिरा गांधी ने जवाब दिया कि यह घर देश के प्रधानमंत्री का है.

वरुण गांधी के लिए भिड़ीं इंदिरा-मेनका

आखिर वो वक्त आ गया जब मेनका गांधी देश के सबसे बड़े सियासी परिवार से अलग हो रही थीं. लेकिन इंदिरा गांधी के नजर में वरुण गांधी अटक गए, जिनकी उम्र महज़ दो वर्ष थी. दरअसल कहा जाता है कि इंदिरा गांधी अपने दो वर्षीय पोते को मेनका के साथ नहीं जाने देना चाहती थी. बस फिर क्या था अपने बेटे संजय गांधी की आखिरी निशानी को अपने पास रखने के लिए जुट गईं. हालांकि मेनका इस बात पर सख्त हो गई थीं और उन्होंने वरुण गांधी को हवाले करने से इनकार कर दिया. 

रात को बुलाने पड़े कानूनी एक्सपर्ट्स

बात यहीं खत्म नहीं हुई, देर रात तक विवाद चलता रहा और नौबत यह आ गई कि रात में ही कानूनी माहिरों को बुलाया गया. जिसके बाद उन्होंने भी यही कहा कि बेटे पर मां मेनका का हक है. इसके बाद कहीं इंदिरा गांधी ने वरुण गांधी को ले जाने की इजाज़त दी. बाहर पत्रकारों की फ्लैश लाइट्स भी जगमगा रही थीं. क्योंकि यह खबर मीडिया में फैल चुकी थी. ऐसे में सभी पत्रकार घर के बाहर हलचल देखने को बेताब थे. पत्रकारों का इंतेजार 11 बजे खत्म हो गया. जब मेनका गांधी 2 वर्षीय वरुण को लेकर घर से बाहर निकलीं और गाड़ी में बैठीं. 

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26 March 2024, 02:21 PM IST

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