जब PM रहते हुए अदालत पहुंची इंदिरा... जज ने कहा कोई खड़ा ना हो, 5 घंटे तक पूछे तीखे सवाल

Indira Gandhi and Rajnarayan Case: इमरजेंसी के काले अध्याय को याद कर सभी लोग सिहर जाते हैं. लेकिन उससे पहले भी कुछ हुआ था. जिसके बाद इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाने का ऐलान किया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज ही के दिन एक ऐसा फैसला सुनाया था जिसके बाद देश के तस्वीर ही बदल गई थी. जानिए आखिर क्या है वो फैसला?

Tahir Kamran
Edited By: Tahir Kamran

Indira Gandhi: इतिहास में कई फैसले ऐसे होते हैं जो आने वाली नस्लों के लिए मिसाल बन जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही फैसले के बारे में बताने जा रहे हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर ऐसा फैसला सुना दिया था कि चंद दिनों के अंदर देश की तस्वीर की बदल गई थी. साथ ही जज ने फैसला सुनाने के दौरान ऐसी टिप्पणी कर दी थी कि सभी लोग हैरान रह गए थे और लोग आज तक उन बातों को याद करते हैं. यह फैसला मामला पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजनारायण से जुड़ा हुआ है.

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बेटी और देश के पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम ज़हन में एक मजबूत इरादों वाली महिला का छवि बन जाती है. यही वजह है कि उन्हें आयरन लेडी भी कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 1971 के चुनाव में इस मजबूत महिला एक आम नेता की चुनौती के सामने झुकना पड़ गया था. हालांकि झुकना तो अदालत के सामने पड़ा था. यहां तक कि 1977 के चुनाव में इस नेता ने इंदिरा गांधी का 52 हजार वोटों से रायबरेली से शिकस्त भी दी थी. इस नेता का नाम है राजनारायण सिंह. 

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अदालत ने ठहराया मुजरिम:

राजनारायण संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे. उन्होंने 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी के लिए मुसीबत बनकर खड़े गए थे. चुनाव के चार साल बाद राजनारायण ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाते हुए इंदिरा गांधी पर आरोप लगाया कि उन्होंने रायबरेली सीट से अपने जीत तय करने के लिए सरकारी मशीनरी और धांधली की है. 12 जून 1975 यानी आज ही के दिन 49 साल पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले पर फैसला लिया और वो इतिहास बन गया. दरअसल अदालत के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने फैसला सुनाते हुए चुनाव को रद्द कर दिया. साथ ही इंदिरा पर अगले छह सालों तक लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा दिया गया.

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इंदिरा गांधी और राजनारायण

जज ने लोगों से कहा खड़े ना हों:

बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती मार्च 1975 में देश ने वो दिन भी देखा जब एक प्रधानमंत्री अदालत में अपना बयान दर्ज कराने पहुंचा. जी हां इंदिरा गांधी का बयान दर्ज करने के लिए जस्टिस ने अदालत में तलब किया था और इंदिरा गांधी को जाना भी पड़ा था. यह दिन था 18 मार्च 1975 का. अक्सर जब भी जज अदालत में पहुंचते हैं तो उनके सम्मान बाकी लोगों को खड़ा होना पड़ता है.  लेकिन जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अदालत में पहुंची तो क्या हुआ? दरअसल जब इंदिरा गांधी अदालत में पहुंची तो जज ने लोगों से खड़े होने से मना कर दिया था. 

5 घंटे तक पूछे गए सवाल

इंदिरा गांधी के अदालत में पहुंचने से पहले जज ने कहा था, कोर्ट के अंदर लोग तभी खड़े होते हैं जब जज आते हैं, इसलिए इंदिरा गांधी के आने पर किसी को खड़ा नहीं होना चाहिए. हालांकि इस दिन अदालत में सिर्फ उन्हीं लोगों के पहुंचने की अनुमति थी जिनको पास मिले थे. अदालत ने इंदिरा गांधी को लगभग 5 घंटे के सवालों के घेरे में खड़ा किए रखा. इस पूछताछ के बाद ही इंदिरा और उनके समर्थकों को अंदाजा हो गया था कि फैसला उनके खिलाफ आने वाला है.

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इमरजेंसी की खबर

अगले चुनाव में मिली शिकस्त:

अदालत के इस फैसले के बाद राजनरायण के 'संपूर्ण क्रांति' आंदोलन ने पूरे देश की तस्वीर को ही बदलकर रख दिया था. इंदिरा गांधी ने भी देश में इमरजेंसी लागू कर दी थी और फिर वो सब हुआ जिसे हिंदुस्तान के इतिहास के काला अध्याय कहा जाता है. इमरजेंसी खत्म होने के बाद 1977 में आम चुनाव हुए और रायबरेली की लोकसभा सीट से इंदिरा गांधी को शिकस्त का सामना करना. उन्हें राजनारायण ने लगभग 52 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी थी. 

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12 June 2024, 08:25 AM IST

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