Indian Navy Day 2024: साउथ चाइना सी, एक ऐसा समुद्र क्षेत्र है, जिसे चीन अपने अधिकार में समझता है और वहां पर अपनी ताकत दिखाने के लिए अक्सर विवाद पैदा करता है. चीन इस समुद्री इलाके में न केवल अपने सैन्य आधार बना चुका है, बल्कि उसने कृत्रिम द्वीप भी बना रखे हैं. इसके अलावा, चीन ने यहां पर कई मिलिट्री बेस भी स्थापित किए हैं. अब चीन का मकसद इस समुद्र के बड़े हिस्से पर अपना कब्जा करना है.
भारत ने भी अब चीन की इन हरकतों को नज़रअंदाज करना बंद कर दिया है. चीन के विस्तारवादी रवैये को देखते हुए, भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपने दो सबसे ताकतवर युद्धपोत, आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य को तैनात कर दिया है. ये दोनों युद्धपोत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे ताकतवर विमानवाहक युद्धपोतों में शामिल हैं.
आईएनएस विक्रांत, भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत है, जो भारतीय नौसेना में जल्द शामिल होने वाला है. इसका वजन 45,000 टन है और इसकी लंबाई 262 मीटर तथा चौड़ाई 59 मीटर है. यह युद्धपोत 1600 से ज्यादा चालक दल को लेकर चल सकता है और इसमें 40 से ज्यादा फाइटर जेट्स तैनात किए जा सकते हैं. इसके पास मिग-29, कामोव-31 हेलीकॉप्टर और कई स्वदेशी हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमान हैं. इसकी स्ट्राइक रेंज 1500 किमी है और इसे 64 बराक मिसाइल से लैस किया गया है, जो हवा से हवा में हमला करने में सक्षम हैं.
आईएनएस विक्रमादित्य, भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है और दुनिया के 10 सबसे बड़े विमानवाहक युद्धपोतों में शुमार है. इसका वजन 45,570 टन है और इसकी लंबाई 283.5 मीटर और चौड़ाई 61 मीटर है. इसमें 24 मिग-29 विमान और 10 हेलीकॉप्टर एक साथ तैनात हो सकते हैं. यह युद्धपोत दुश्मन के 500 किमी के दायरे में आने पर उसे पहचान सकता है और किसी भी प्रकार के मिसाइल, टॉरपीडो या इलेक्ट्रॉनिक हमले से निपटने में सक्षम है.
भारत जल्द ही विक्रांत श्रेणी का दूसरा विमानवाहक युद्धपोत भी समुद्र में उतारने जा रहा है. इस युद्धपोत का वजन भी लगभग 45,000 टन होगा और इसमें राफेल एम, मिग-29 और तेजस जैसे फाइटर जेट्स तैनात किए जा सकेंगे. यह युद्धपोत 56 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलेगा और इसमें एंटी मिसाइल सिस्टम और एडवांस्ड टॉरपीडो डिफेंस सिस्टम लगाए जाएंगे. इसके अलावा, इसमें 32 सेल वाले बराक 8 मिसाइल भी होंगे, जो इसे और भी ताकतवर बनाएंगे.
चीन भी इस क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है. चीन के पास तीन बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर्स हैं:
शैनडोंग एयरक्राफ्ट कैरियर: यह चीन का सबसे ताकतवर एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसका वजन 70,000 टन है. इसमें 44 लड़ाकू विमान तैनात किए जा सकते हैं.
लियाओनिंग एयरक्राफ्ट कैरियर: इसका वजन 58,000 टन है और यह एक साथ 50 फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर लेकर चल सकता है.
फुजियान सुपर एयरक्राफ्ट कैरियर: यह नया एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसे हाल ही में समंदर में उतारा गया है. इसमें सेल्फ डिफेंस हथियारों और जेनरेशन 4 फाइटर जेट्स को तैनात किया जाएगा.
भारत और चीन के बीच समुद्र क्षेत्र में बढ़ती तकरार को देखते हुए, भारत अपनी ताकत बढ़ाने के लिए इन युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है. चीन ने अपनी धौंस जमाने के लिए कई सैन्य ठिकाने बना रखे हैं, जबकि भारत भी अब अपनी नौसेना को मजबूत करने के लिए इन युद्धपोतों को समुद्र में उतार रहा है. इन युद्धपोतों का उद्देश्य चीन की बढ़ती शक्ति का मुकाबला करना और भारतीय समुद्र सीमा की रक्षा करना है. First Updated : Wednesday, 04 December 2024