MLA थे तो इंस्पेक्टर ने किया था अपमान, CM बने तो मोहन माझी ने क्या किया? अधिकारियों से बताई कहानी
Mohan Majhi Story: जब कोई नेता बड़ा हो जाता है तो इसके अनुभव एक कहानी की तरह सामने आते हैं. इसमें उनके पद तक पहुंचने से पहले के संघर्ष के साथ उनका अपमान भी होता है. ऐसी ही एक घटना उडीशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने बताई है. उन्होंने बताया कि विधायक रहने के दौरान उनके एक इंस्पेक्टर ने थाने से बाहर कर दिया था. हालांकि, कुछ समय बाद मैं मुख्यमंत्री बन गया.
Mohan Majhi Story: ओडिशा विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल करने के बाद जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मोहन चरण माझी को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना, तो यह फैसला कई लोगों के लिए हैरानी का कारण बना. मुख्यमंत्री बनने से कुछ दिन पहले ही माझी को एक पुलिस स्टेशन से बाहर जाने को कह दिया गया था. माझी ने खुद इस घटना का खुलासा किया और बताया कि वह अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर चर्चा करने के लिए पुलिस स्टेशन गए थे.
माझी ने अधिकारियों के लंबे समय तक एक ही पद पर रहने पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि किसी अधिकारी को एक ही पद पर 3-4 साल से ज्यादा नहीं रहना चाहिए. कई अधिकारी 15-20 साल से भी ज्यादा समय तक एक ही स्थान पर काम कर रहे हैं. उन्होंने अधिकारियों के नियमित स्थानांतरण की आवश्यकता पर जोर दिया.
मुख्यमंत्री बनने से पहले हुआ था अपमान
भुवनेश्वर में आयोजित जिला कलेक्टरों के सम्मेलन में मुख्यमंत्री माझी ने अधिकारियों से अपील की कि वे जनप्रतिनिधियों को उचित सम्मान दें. उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र क्योंझर में राष्ट्रीय राजमार्ग 20 पर हुए विरोध प्रदर्शन और सड़क अवरोध के बारे में बात की. माझी ने बताया कि जब वह इन समस्याओं को हल करने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंचे तो इंस्पेक्टर ने उन्हें बाहर जाने को कहा. इस घटना से अपमानित होकर हमने पुलिस स्टेशन के बाहर धरना दिया.
एक महीने बाद मुख्यमंत्री बने
माझी ने कहा कि भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से एक महीने बाद मैं मुख्यमंत्री बन गया. आप इंस्पेक्टर की स्थिति की कल्पना कर सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने इंस्पेक्टर को माफ कर दिया. क्योंकि उन्हें लगा कि उसने दबाव में आकर ऐसा किया था.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी किया जिक्र
माझी ने एक अन्य घटना का भी जिक्र किया और बताया कि वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ओडिशा सरकार में मंत्री रहते हुए क्योंझर आई थीं. उस वक्त के जिला कलेक्टर ने केवल केंद्रीय मंत्री का स्वागत किया और राज्य की मंत्री रहीं मुर्मू को नजरअंदाज कर दिया. हालांकि, बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन उन्होंने न तो मुर्मू से माफी मांगी और न ही उनका अभिवादन किया. माझी ने कहा कि अब वही मंत्री देश की प्रथम नागरिक हैं.