सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच, क्या जस्टिस वर्मा को देना पड़ेगा इस्तीफा?

दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर अथाह नकदी बरामद होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे न केवल गंभीरता से लिया है बल्कि शुक्रवार को उनके खिलाफ आंतरिक जांच शुरू कर दी है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर भारी नकदी बरामद होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. शुक्रवार को, देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की जानकारी मिलते ही कॉलेजियम की बैठक बुलाई, जिसमें सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट किया जाएगा. हालांकि, कॉलेजियम ने यह भी सुझाव दिया कि केवल दंडात्मक स्थानांतरण से काम नहीं चलेगा, क्योंकि इससे न्यायपालिका की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा है.

आंतरिक जांच और इस्तीफे की संभावना

सीजेआई खन्ना ने मामले की गहन जांच के लिए आंतरिक समिति भी गठित कर दी है और दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से इस संदर्भ में रिपोर्ट भी मांगी है. सूत्रों के अनुसार, कॉलेजियम सदस्यों ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफा मांगने की भी सिफारिश की है. हालांकि, यदि वह इस्तीफा देने से इंकार करते हैं, तो सीजेआई इस मामले में आगे की कार्रवाई की सिफारिश कर सकते हैं, जिसमें बर्खास्तगी की प्रक्रिया भी शामिल हो सकती है.

महाभियोग प्रक्रिया और संविधान की व्यवस्था

भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 (4) के तहत, किसी न्यायाधीश को महाभियोग प्रक्रिया के माध्यम से ही संसद द्वारा हटाया जा सकता है. यह प्रक्रिया न्यायाधीशों को हटाने के लिए न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 में वर्णित है. अब तक कोई भी न्यायाधीश महाभियोग प्रक्रिया के तहत नहीं हटाया जा सका है. हालांकि, कुछ मामलों में न्यायाधीशों ने अपने पद से इस्तीफा देकर इस प्रक्रिया को रोक लिया है, जैसे कलकत्ता हाई कोर्ट के जज सौमित्र सेन और सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिनाकरन के मामलों में हुआ था.

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21 March 2025, 07:43 PM IST

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