मनोहर लाल खट्टर से BJP बना रही है दूरी? क्यों कहलाते हैं पोर्टल वाला मुख्यमंत्री
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से दूर होती नजर आ रही है. इसका कारण यह है कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए जो जनता में नाराजगी थी, उससे पार्टी चुनाव में बचना चाहती है. इसी वजह से खट्टर पीएम मोदी की चुनावी सभाओं में भी दिखाई नहीं दे रहे हैं. बीजेपी एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए ऐसा कर रही है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से दूर होती नजर आ रही है. इसका कारण यह है कि उनके मुख्यमंत्री रहते हुए जो जनता में नाराजगी थी, उससे पार्टी चुनाव में बचना चाहती है. इसी वजह से खट्टर पीएम मोदी की चुनावी सभाओं में भी दिखाई नहीं दे रहे हैं. बीजेपी एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए ऐसा कर रही है.
पीएम मोदी की अब तक हरियाणा में दो सभाएं हो चुकी हैं, लेकिन दोनों में खट्टर नहीं थे. खास बात यह है कि 14 सितंबर को कुरुक्षेत्र में हुई सभा में भी खट्टर की गैरमौजूदगी रही, जबकि वह करनाल से लोकसभा सांसद हैं. इसके अलावा, खट्टर गृहमंत्री अमित शाह की सभाओं में भी नहीं दिखे.
खट्टर के बयान बन रहे समस्या
मनोहर लाल खट्टर के कुछ बयान भी चुनाव में बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बने हैं. उन्होंने शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को लेकर विवादित बयान दिया. इसके अलावा, जब हिसार में एक युवक ने कहा कि इस बार बीजेपी का विधायक हारेगा, तो खट्टर भड़क गए और युवक को सभा से बाहर निकलवा दिया. खट्टर ने कुमारी सैलजा को बीजेपी में शामिल होने का ऑफर दिया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया, जिससे पार्टी की किरकिरी हुई.
मंत्री बनने के बाद भी खट्टर की सक्रियता
केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी मनोहर लाल खट्टर की सक्रियता कम नहीं हुई है. इससे यह संदेश गया कि मुख्यमंत्री नायब सैनी बनने के बाद भी खट्टर हरियाणा के महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं. लेकिन उनकी यह सक्रियता बीजेपी कार्यकर्ताओं और हरियाणा की जनता को पसंद नहीं आई. खट्टर ने खुद को कुछ खास सीटों तक सीमित कर लिया है, जहां उनके करीबी चुनाव लड़ रहे हैं. ये सीटें उन क्षेत्रों की हैं जहां पंजाबी, गैर-जाट और पिछड़े वोटर हैं.
बीजेपी में खट्टर के खिलाफ नाराजगी
बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले हटाया था. इसकी वजह यह थी कि पार्टी में उनके खिलाफ नाराजगी थी. उन्हें "पोर्टल वाला मुख्यमंत्री" भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने कई सरकारी सेवाओं के पोर्टल लॉन्च किए. इससे आम जनता को दिक्कतें आईं और यही कारण है कि लोगों में खट्टर के प्रति नाराजगी बढ़ी.