क्या बिहारी होना गुनाह है? बिहार के छात्रों से बंगाल में हुई मारपीट, जानें क्या है पूरा मामला
पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में बिहार के दो छात्रों के साथ मारपीट का मामला सामने आया है. ये छात्र SSC की परीक्षा देने आए थे. मारपीट का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग इन छात्रों को पीटते हुए दिख रहे हैं और उनसे माफी मंगवा रहे हैं. पुलिस ने इस मामले में रजत भट्टाचार्य और गिरिधारी रॉय नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में बिहार के दो छात्रों के साथ मारपीट का मामला सामने आया है. ये छात्र SSC की परीक्षा देने आए थे. मारपीट का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग इन छात्रों को पीटते हुए दिख रहे हैं और उनसे माफी मंगवा रहे हैं. पुलिस ने इस मामले में रजत भट्टाचार्य और गिरिधारी रॉय नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
रजत का कहना है कि बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग नकली सर्टिफिकेट लेकर परीक्षा देने आते हैं और बंगालियों की नौकरियां छीनते हैं. "बांग्ला पक्खो" संगठन के महासचिव गार्गा चटर्जी ने आरोप लगाया है कि राज्य में एक रैकेट चल रहा है, जो फर्जी डोमेसाइल सर्टिफिकेट बनाता है ताकि बाहरी लोग नौकरी पा सकें.
एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमे बंगाल में फिजिकल देने गए बिहारी युवकों से मारपीट किया गया
वीडियो देख के आपका खून खौल जाएगा , इसलिए ही तो हमसब डोमिसाइल के लिए आवाज उठा रहे है
बिहारी अभ्यर्थी बाहर में मार खाते रहे और यहाँ दूसरे राज्य का सब मलाई मारे कहाँ का न्याय है ये… pic.twitter.com/HP6fGoLJiA— Sartaj Ramjan (@Bihari1819) September 25, 2024
बिहार में डोमिसाइल नीति की मांग
इस घटना के बाद बिहार में डोमिसाइल नीति की मांग फिर से उठ गई है. लंबे समय से यह मुद्दा बना हुआ है. कहा जा रहा है कि डोमिसाइल नीति न होने के कारण बिहार के युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही और उन्हें बाहर जाना पड़ता है.
कई राज्यों में डोमिसाइल नीति लागू
कई राज्यों में डोमिसाइल नीति लागू है, जिसके तहत राज्य के मूल निवासियों को नौकरियों में प्राथमिकता मिलती है. पहले बिहार में भी यह नीति थी, लेकिन इसे खत्म कर दिया गया था.
बिहार की राजनीति हुई गर्म
हाल ही में, दिसंबर 2020 में नीतीश सरकार ने शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति लागू की थी, जिससे केवल मूल निवासियों को नौकरी मिलती थी. लेकिन जुलाई 2023 में यह नीति फिर से हटा दी गई. सरकार का कहना था कि अच्छे शिक्षकों की कमी के कारण यह कदम उठाना पड़ा. मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि संविधान के अनुसार, किसी भी नागरिक के साथ उसके जन्म या स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता.