क्या दिल्ली-NCR की हवा हिटलर के गैस चैंबर जितना घातक? जानिए कौन सी गैस मिनटों में ले लेती है जान
राजधानी दिल्ली की हवा लगातार एक हफ्ते से जहरीली बनी हुई है. ज्यादातर इलाको में एवरेज एयर क्वलिटी इंडेक्स यानी AQI पांच सौ के पार है. इस बीच लोग दिल्ली -नोएडा की तुलना हिटलर के गैस चैंबर से कर रहे हैं. हिटलर के कुख्यात गैस चैंबर ने लाखों यहूदियों की जान ली थी ऐसे में दिल्ली वासियों को डर सता रहा है कि कहीं ये हवा गैस चैंबर जितनी खतरनाक न हो जाए?
दिल्ली -नोएडा के हवा में लोगों को सांस लेना कठिन हो रहा है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि, यह जहरीली हवा में सांस लेना मतलब रोज 10 से ज्यादा सिगरेट पीने के बराबर है. दिल्ली -नोएडा के कई इलाकों में AQI हजार के आसपास पहुंच गया है. ऐसे में कहा जा रहा है कि, दिल्ली की प्रदूषित हवा नाजी दौर का गैस चैंबर हैं. तो चलिए आज आपको बताते हैं कि, हिटलर की गैस चैंबर और दिल्ली की जहरीली हवा में कितना फर्क है. और कौन सी गैस ज्यादा जहरीली है.
कौन सी गैस को देखी जा सकती है?
एयर क्वालिटी इंडेक्स में खासतौर पर 6 जहरीली चीजों को देखा जाता है जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, ओमोनिया और लेड. इन सभी गैसों की थोड़ी मात्रा तो हर जगह है लेकिन एक निश्चित पैमाने से ऊपर जाना जानलेवा साबित हो सकता है. इन गैसों का असर सांस के मरीजों पर तो पड़ता ही हैं साथ ही अच्छी सेहत वालों पर भी ऐसी हवा लॉन्ग टर्म में असर दिखाता है.
हिटलर के नाजी कैंपों में ऐसी हुई थी गैस शुरुआत-
हिटलर के गैस चैंबर में शुरुआत में कार्बन मोनोऑक्साइड का उपयोग होता था. उस दौरान लोगों को कमरों में बंद किया जाता था जो पूरी तरह से पैक और अंधेरा होता था. यहां नालियों के जरिए जहरीली गैस भेजी जाती थी जिसमें लगभग आधे से एक घंटे के भीतर लोगों की मौत हो जाती थी. हालांकि जब लोगों को इस गैस को खत्म करने का सस्ता तरीका पता चल गया था जिसके बाद नाजियों की क्रूरता और बढ़ती चली गई.
नाजी कैंपों में 2 मिनट के भीतर हो जाती थी इंसान की मौत-
नाजी कैंपों में जाइक्लोन-बी गैस छोड़ा जाने लगा. ये गैस एक ऐसा गैस था जिसे जर्मन भाषा में साइक्लोन भी कहते हैं. साल 1920 में पहली बार इस गैस का इस्तेमाल खाद में हुआ था. यह केमिकल निले रंग का था जिसे गर्म हवा के संपर्क में लाया जाए तो इससे हाइड्रोजन सायनाइड की गैस निकलती है. ये गैस बेहद घातक होती है जो सेल्स के साथ मिलकर ऑक्सीजन की सप्लाई रोक देती है. ये सब कुछ इतना तेजी से होता है कि, कुछ ही पल में इंसान की मौत हो जाती है. अगर 68 किलो वजन के व्यक्ति के भीतर 70 मिलीग्राम गैस पहुंच जाए तो उसकी मौत 2 मिनट के भीतर हो जाएगी.
दिल्ली की प्रदूषित हवा से घर में रहना कितना सुरक्षित?-
दिल्ली और आसपास के इलाकों में हाई AQI के चलते ज्यादा से ज्यादा घर पर रहने की बात हो रही है. लेकिन ये सुरक्षित नहीं है. क्योंकि घर के अंदर भी बाहर की हवा कई गुना ज्यादा प्रदूषित हो सकती है. इसका कारण यह है कि आमतौर पर घर बंद होते हैं और अगर प्रदूषित हवा भीतर पहुंच जाए तो भीतर ही यहां से वहां सर्कुलेट होती रहती है.