President Statement: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने न्याय व्यवस्था में सुधार की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने विशेष रूप से बलात्कार जैसे संवेदनशील मामलों में न्याय के देरी से संबंधित समस्याओं पर प्रकाश डाला. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जब अदालतें बलात्कार के मामलों में फैसले सुनाने में एक पीढ़ी का समय लेती हैं तो आम जनता को लगता है कि न्याय व्यवस्था में संवेदनशीलता की कमी है.
कोलकाता में एक दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने न्यायपालिका के सामने लंबित मामलों की चुनौती को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि न्याय की प्रक्रिया में देरी से पीड़ितों के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. 'जब तक किसी को न्याय मिलेगा, तब तक उनकी मुस्कान गायब हो चुकी होगी, उनका जीवन समाप्त हो चुका होगा' राष्ट्रपति मुर्मू ने चिंता व्यक्त की.
राष्ट्रपति मुर्मू का महिलाओं के न्याय पर चिंता
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि गांवों में लोग न्यायपालिका को बहुत सम्मान देते हैं लेकिन अगर न्याय में इतनी लंबी देरी होती है तो लोगों की निराशा बढ़ती है. उन्होंने यह उदाहरण भी दिया कि लोग भगवान के घर में भी देर को सहन करते हैं लेकिन कितनी देर सहनीय होती है, यह महत्वपूर्ण है.
अपने भाषण में राष्ट्रपति मुर्मू ने अदालतों में स्थगन की संस्कृति को खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि समाज में संपन्न व्यक्ति अपराध के बावजूद स्वतंत्र रहते हैं, जबकि पीड़ित डर में जीते हैं. उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं के लिए न्याय की स्थिति पर चिंता जताई और न्यायिक अधिकारियों की संख्या में वृद्धि पर खुशी व्यक्त की.
सुप्रीम कोर्ट का झंडा जारी
इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित थे. इस मौके पर राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का झंडा और प्रतीक चिन्ह भी जारी किया. राष्ट्रपति मुर्मू का यह बयान न्याय व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. First Updated : Sunday, 01 September 2024