कुरान ऊपर है या फिर संविधान? मौलाना महमूद मदनी ने दिया हैरान करने वाला जवाब
Maulana Mahmood Madani: मौलाना महमूद ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कुरान और संविधान से जुड़े एक सवाल का जवाब दिया. उनसे टीवी इंटरव्यू में पूछा गया कि लोकतंत्र के अंदर संविधान सर्वोपरि है या फिर कुरान? इसके जवाब में महमूद मदनी ने हैरान करने वाला बात कही है. जानिए आखिर उन्होंने क्या?
Maulana Mahmood Madani: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने हाल ही में एक प्रोग्राम के अंदर 'कुरान' और 'संविधान' से जुड़े एक सवाल पर ऐसा जवाब दे दिया जो चर्चा विषय बना हुआ है. एक टीवी प्रोग्राम में महमूद मदनी से पूछा गया कि वो कुरान और संविधान में से किस को सर्विपरि मानते हैं? इस सवाल के महमूद मदनी ने कुछ ऐसा कह दिया कि इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल होने लगा. इस मौके पर महमूद मदनी ने बुलडोजर के ज़रिए की जा रही कार्रवाई पर अपा रुख रखा.
टीवी-9 के एक खास प्रोग्राम का हिस्सा बने महमूद मदनी से सवाल किया गया कि 'लोकतंत्र में सर्विपरि क्या है, संविधान या फिर कुरान शरीफ?' यह सवाल स्क्रीन पर आते ही महमूद मदनी ने कहा कि मुझे मालूम था कि आप यह सवाल जरूर पूछेंगे. लेकिन मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि यह सवाल ही गलत है. साल 2002 से मुझसे यह सवाल पूछा जा रहा है, कभी राष्ट्र तो कभी देश के नाम पर इस सवाल का सामना होता रहता है. उन्होंने कहा कि इन दोनों में कोई कंपिटीशन ही नहीं है.
'कुरान-शरीयत मां-बा की तरह'
महमूद मदनी एक उदाहरण पेश करते हुए कहा,'कुरान और शरीयत हमारे मां-बा की तरह हैं, अगर हमसे पूछेंगे कि दोनों आंखों में से कौन सी आंख रखें और कौन सी फोड़ दें.' उन्होंने कहा कि हमारा आईन (संविधान) अपनी जगह अलग अहमियत रखता है और कुरान शरीफ की अलग जगह और अहमियत है. दोनों को एक ही चश्मे से नहीं देखा जा सकता.
बुलडोजर पर क्या बोले मदनी?
इसी प्रोग्राम में महमूद मदनी ने बुलडोजर के ज़रिए की जा रही कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी कर दी. उन्होंने कहा कि सभ्य समाज में बुलडोजर एक्शन की इजाज़त नहीं होनी चाहिए. क्योंकि यह मामला अदालत में है इसलिए इसपर ज्यादा कुछ नहीं नहीं कहा जा सकता. लेकिन बुलडोजर ना इंसाफी और जुल्म का प्रतीक बन गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि अदालत तय करेगी कि क्या सही है और क्या गलत. लेकिन जिसने गलत किया है उसे कभी माफी नहीं मिली चाहिए.