ISRO का Spadex मिशन: अंतरिक्ष का सबसे बड़ा प्रयोग आज होगा लॉन्च

Spadex Mission: ISRO आज श्रीहरिकोटा से Spadex मिशन को लॉन्च करेगा. अगर यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जो इस तकनीक को हासिल कर चुका है. अबतक अमेरिका, चीन और रूस के पास ही ये तकनीक है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

Spadex Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आज श्रीहरिकोटा से Spadex मिशन को लॉन्च करेगा. यह मिशन रात 10 बजे लॉन्च किया जाएगा. इसरो ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस बारे में जानकारी दी है. यह मिशन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके सफल होने पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) और चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4) मिशन की सफलता तय हो सकती है.

Spadex मिशन क्या है?

इस मिशन में दो सैटेलाइट्स हैं. पहला सैटेलाइट चेसर है और दूसरा टारगेट. चेसर सैटेलाइट, टारगेट सैटेलाइट को पकड़ने के लिए डॉकिंग करेगा. इसके अलावा, एक और टेस्ट भी किया जा सकता है जिसमें एक रोबोटिक आर्म टारगेट को अपनी ओर खींचेगा. यह टारगेट एक क्यूबसैट हो सकता है.

मिशन की सफलता से क्या मिलेगा?

इस मिशन से इसरो को एक नई तकनीक मिलेगी, जिसके जरिए भविष्य में अलग दिशा में जा रहे हिस्सों को वापस कक्षा में लाया जा सकेगा. साथ ही, ऑर्बिट में सर्विसिंग और रीफ्यूलिंग करने का विकल्प भी खुलेगा.

मिशन का चंद्रयान-4 से संबंध

चंद्रयान-4 मिशन के लिए अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक बेहद जरूरी है. डॉकिंग का मतलब है कि दो अलग-अलग हिस्सों को एक साथ जोड़ना. इस तकनीक की मदद से भारत अपना स्पेस स्टेशन बना सकेगा और चंद्रयान-4 मिशन में भी यह तकनीक सहायक होगी. Spadex मिशन में दो हिस्सों वाले सैटेलाइट को एक रॉकेट में भेजा जाएगा और अंतरिक्ष में इन दोनों को अलग-अलग जगहों पर छोड़ा जाएगा.

कम लागत वाला मिशन

Spadex (Space Docking Experiment) मिशन ISRO का एक कम लागत वाला मिशन है. इसका उद्देश्य PSLV रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में दो छोटे यानों के डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करना है. ISRO के अनुसार, यह तकनीक भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों जैसे चांद पर इंसानी मिशन, चंद्रमा से नमूने लाने, और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के निर्माण और संचालन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

दुनिया का चौथा देश बनेगा भारत

अगर यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जिसके पास यह डॉकिंग तकनीक होगी. अब तक अमेरिका, चीन और रूस के पास ही यह तकनीक है.

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30 December 2024, 05:18 PM IST

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