ISRO की बड़ी उड़ान, भारत के सबसे भारी रॉकेट के लिए दमदार इंजन का परीक्षण सफल
ISRO engine test: इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए अपने 2000 kN थ्रस्ट वाले सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए देश की क्षमताओं को और मजबूत करेगा.

ISRO engine test: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने देश की अंतरिक्ष क्षमताओं को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इसरो ने तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित अपने प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी) में 2000 kN थ्रस्ट वाले सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया. यह इंजन भारत के सबसे भारी रॉकेट LVM3 की पेलोड क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे अंतरिक्ष अभियानों में देश की शक्ति और प्रभावशीलता में वृद्धि होगी.
इस परीक्षण के सफल होने से इसरो के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए अधिक शक्तिशाली और कुशल इंजन विकसित करने की दिशा में एक नया अध्याय जुड़ गया है. यह इंजन लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) और केरोसिन के मिश्रण से संचालित होता है और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके डिजाइन किया गया है.
भविष्य की उड़ानों के लिए बड़ी उपलब्धि
इसरो द्वारा विकसित यह सेमी-क्रायोजेनिक इंजन रॉकेट प्रणोदन प्रौद्योगिकी में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है. इस इंजन के पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (PHTA) का सफल परीक्षण संगठन की वैज्ञानिक दक्षता और नवाचार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इस उपलब्धि पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसरो की सराहना करते हुए कहा, "इसरो ने अपनी अंतरिक्ष मिशन क्षमताओं को और मजबूत करने में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है." यह परीक्षण एक विशेष सुविधा में किया गया, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवनंतपुरम की अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्र को समर्पित किया था.
LVM3 रॉकेट की क्षमता में होगा बड़ा इजाफा
लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (एलपीएससी) इस सेमी-क्रायोजेनिक इंजन और स्टेज के विकास का नेतृत्व कर रहा है. इसरो ने SE2000 सेमी-क्रायोजेनिक इंजन को विकसित किया है, जो नए SC120 स्टेज को शक्ति देगा. यह नया स्टेज मौजूदा L110 कोर लिक्विड स्टेज की जगह लेगा, जिससे LVM3 रॉकेट की पेलोड क्षमता बढ़कर 5 टन तक पहुंचने की उम्मीद है.
गैर-विषाक्त और कुशल प्रणोदन प्रणाली
सेमी-क्रायोजेनिक इंजन में उपयोग की जाने वाली प्रणोदन प्रणाली पूरी तरह से गैर-विषाक्त और गैर-खतरनाक है. यह पारंपरिक प्रणोदन प्रणालियों की तुलना में अधिक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल है. इंजन ऑक्सीडाइज़र-समृद्ध चरणबद्ध दहन चक्र (staged combustion cycle) पर आधारित है, जो इसे 180 बार उच्च कक्ष दबाव और 335 सेकंड के विशिष्ट आवेग तक पहुंचने में सक्षम बनाता है. इस पैमाने के अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन दुनिया में कुछ ही देशों के पास उपलब्ध हैं.
सेमी-क्रायोजेनिक इंजन परीक्षण सुविधा का निर्माण
इसरो ने इस विकास को समर्थन देने के लिए महेंद्रगिरि स्थित आईपीआरसी में सेमी-क्रायोजेनिक एकीकृत इंजन परीक्षण सुविधा (SIET) स्थापित की है. यह अत्याधुनिक सुविधा फरवरी 2024 में शुरू की गई थी और 2600 kN तक के थ्रस्ट स्तर वाले सेमी-क्रायोजेनिक इंजनों के परीक्षण में सक्षम है.
आने वाले परीक्षण और आगे की योजनाएं
SE2000 इंजन के पूर्ण एकीकरण से पहले, इसरो ने पीएचटीए सहित कई परीक्षण किए. हाल ही में किए गए हॉट टेस्ट में इंजन के प्री-बर्नर, टर्बो पंप, स्टार्ट सिस्टम और कंट्रोल कंपोनेंट्स को जांचा गया.
इस परीक्षण में इंजन को 2.5 सेकंड तक जलाया गया, जिसमें यह देखा गया कि सभी सिस्टम सही तरीके से कार्य कर रहे हैं. सभी प्रमुख मापदंडों ने अपेक्षित प्रदर्शन किया, जिससे इस इंजन के विकास कार्यक्रम में एक बड़ी सफलता हासिल हुई. अब इसरो आने वाले महीनों में SE2000 इंजन के पूर्ण एकीकरण से पहले अतिरिक्त परीक्षणों की एक श्रृंखला आयोजित करेगा.