JalliKattu : SC ने जल्लीकट्टू पर की सुनवाई, कोर्ट ने अपने फैसले में खेल को दी मंजूरी

कोर्ट ने आज अपनी सुनवाई में तमिलनाडु में खेले जाने वाले पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा कि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017, जानवरों के दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम करता है।

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गुरुवार 18 मई को देश के सर्वोच्च न्यायाल ने ‘जल्लीकट्टू’ खेल के खिलाफ याचिका पर सुनवाई की। यह खेल तमिलनाडु में पोंगल पर्व के दौरान आयोजित किया जाता है। इस मामले की सुनवाई अनिरुद्ध बोस, ऋषिकेश रॉय जस्टिस केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी, और सीटी रविकुमार की पांच जजों की संविधान पीठ ने की।

कोर्ट ने आज अपनी सुनवाई में तमिलनाडु में खेले जाने वाले पारंपरिक खेल ‘जल्लीकट्टू’ की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा कि पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (तमिलनाडु संशोधन) अधिनियम, 2017, जानवरों के दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम करता है।

कोर्ट ने राज्य सरकार के कानून को रखा बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के इसे इजाजत देने वाले कानून पर भी रोक लगाने से मना कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ‘जल्लीकट्टू’ तमिलनाडु की संस्कृति और विरासत का भाग है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। इसके अलावा कोर्ट ने महाराष्ट्र औरर कर्नाटक में आयोजित होने वाले इस तरह के खेलों पर रोक लगाने भी इनकार कर दिया है।

इस खेल में बैलों की लड़ाई कराई जाती है और यह बहुत लोकप्रिय है। कोर्ट ने कहा तमिलनाडु विधानसभा में इस खेल को लेकर बनाए गए कानून किसी भी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं करता है।

कानून मंत्री एस. रघुपति का बयान

सुप्रीम कोर्ट के जल्लीकट्टू खेल पर सुनाए गए फैसले पर तमिलनाडु के कानून मंत्री एस. रघुपति अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “हम कानूनी लड़ाई जीते हैं”। “तमिलनाडु के लोगों की यह इच्छा थी, वो जल्लीकट्टू खेल को जारी रखना चाहते थे”। उन्होंने कहा हमारी संस्कृति, परंपरा सब कुछ संरक्षित किया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने एक अच्छा निर्णय दिया है। राज्य सरकार सभी जानवरों को क्रूरता से बचाएंगे। साथ ही इस खेल में किसी भी जानवर के साथ क्रूरता नहीं होगी। First Updated : Thursday, 18 May 2023