J&K Election: हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A को बहाल करने की मांग की है. उनका बयान ऐसे समय आया है जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और राजनीतिक पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है. आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान और नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन इस मुद्दे पर एकजुट हैं, जिससे राजनीतिक माहौल में और गर्मी आ गई है.
जम्मू-कश्मीर में यह चुनाव 10 साल बाद हो रहे हैं और इस बार कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रही है, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 और 35A की बहाली के लिए जोर दे रही है. हालांकि कांग्रेस ने चुनावी घोषणापत्र में इन मुद्दों का जिक्र नहीं किया है, जिससे उनकी स्थिति संदिग्ध हो गई है.
पीएम मोदी का जवाब
पीएम मोदी, जो कटरा में जनसभा को संबोधित करने वाले हैं, आसिफ के बयान का सीधा जवाब देने की संभावना है. इससे पहले श्रीनगर में मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि ये पार्टियां कश्मीरियत और लोकतंत्र को कुचलने में लगी थीं. उन्होंने याद दिलाया कि कैसे 1980 के दशक में इन पार्टियों ने जम्मू-कश्मीर की राजनीति को अपने परिवारों की जागीर मान लिया था.
चुनावी माहौल और विदेश नीति
पाकिस्तान के इस बयान ने चुनावी माहौल को और भी गरमा दिया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने में लगी हैं. बीजेपी ने राहुल गांधी के बयान पर पलटवार किया है और इस बीच कश्मीर का मुद्दा फिर से गरमाया है.
अब देखना यह है कि पीएम मोदी अपने संबोधन में आसिफ के बयान पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं. क्या वह इसे एक अवसर के रूप में देखेंगे या इसे राजनीतिक हमले के तौर पर लेंगे? कश्मीर का मुद्दा न केवल भारत-पाकिस्तान के संबंधों में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डालता है.
इस चुनावी माहौल में जहां राजनीतिक दल अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में आसिफ का बयान एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे सकता है. यह आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और देशभर में लोगों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा कि आगे क्या स्थिति बनती है.
जम्मू-कश्मीर का मुद्दा
जम्मू-कश्मीर का मुद्दा न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी गूंज रहा है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान और पीएम मोदी का संभावित जवाब दोनों ही इस बात के संकेत हैं कि कश्मीर की राजनीति में अब और भी उथल-पुथल देखने को मिलेगी. इस पर जनता की प्रतिक्रिया और राजनीतिक दलों की रणनीति ही तय करेगी कि यह मुद्दा चुनावी मैदान में कितनी अहमियत रखता है. First Updated : Thursday, 19 September 2024