Jammu and Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में पहले विधानसभा सत्र के पहले दिन अनुच्छेद 370 को लेकर जोरदार हंगामा देखने को मिला. केंद्र सरकार की बीजेपी सरकार की तरफ से पांच साल पहले इस अनुच्छेद को हटा दिया गया था, जिसके बाद प्रदेश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच आज यानी सोमवार को पहली बार छह साल में आयोजित इस विधानसभा सत्र में महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक वाहिद पारा ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निष्कासन के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया.
इस पर बीजेपी के विधायकों ने विरोध जताया, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष रहीम राथर ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है. ऐसे में इस पर सदन में हंगामा और नारेबाजी शुरू हो गई. विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीत हासिल की है, और उमर अब्दुल्ला राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं.
उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि बीजेपी से अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने की उम्मीद करना बेकार है. उन्होंने कहा कि उन्हें पहले से पता था कि इस विषय पर प्रस्ताव आएगा, और वास्तविकता यह है कि जम्मू-कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 के फैसले को स्वीकार नहीं करते. अगर उन्होंने इसे स्वीकार किया होता, तो आज के चुनावी परिणाम अलग होते.
अब्दुल्ला ने कहा कि सदन में इस प्रस्ताव पर चर्चा कैसे होगी, यह एक सदस्य नहीं तय कर सकता. उन्होंने यह भी कहा कि आज पेश किया गया प्रस्ताव महत्त्वहीन है और केवल दिखावे के लिए लाया गया है. अगर इसका कोई असली उद्देश्य होता, तो पहले इस पर चर्चा होती.
नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने 8 अक्टूबर के चुनाव में जीत हासिल की थी. वहीं एनसी के पास खुद का बहुमत है. उमर अब्दुल्ला की सरकार को निर्दलीय और आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों का समर्थन भी प्राप्त है. जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों में से नेशनल कांफ्रेंस ने 42 सीटें जीती हैं और कांग्रेस के विधायकों का भी समर्थन हासिल किया है. वहीं, बीजेपी ने 29 सीटों पर जीत हासिल की है और सुनील शर्मा को विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया है. First Updated : Monday, 04 November 2024