जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहा है ऐसे में सभी पार्टियों ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है. कहीं गठबंधन की दरकार देखने को मिल रही है तो कहीं अकेले हुंकार भरने की तैयारी चल रही है. जम्मू कश्मीर अब केंद्रशासित प्रदेश बन गया है जिसके बाद से राज्य में काफी कुछ बदल गया है. इस बीच श्रीनगर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया है.
उन्होंने ये कहा कि वे चुनाव के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को भी साथ लाने के लिए तैयार हैं. उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के राजनीतिक क्षेत्र में तीन भारतीय ब्लॉक सदस्यों के एक साथ आने की संभावना का संकेत दिया है. इस बीच सवाल ये उठ रहा है कि जब एनसी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो बीजेपी का क्या होगा. तो चलिए इसे समझते हैं.
हाल ही में लोकसभा विपक्ष के नेता राहुल गांधी जम्मू कश्मीर के दौर पर गए थे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी राहुल के साथ थे. इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात की और चुनाव को लेकर बातचीत की. इस मुलाकात के बाद अब्दुल्ला ने कहा, "हमारे बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में अच्छी बैठक हुई. गठबंधन सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और यह सुचारू रूप से चलेगा. गठबंधन अंतिम चरण में है और यह सभी 90 सीटों के लिए होगा. हमारा साझा कार्यक्रम एक साथ लड़ना और देश में विभाजनकारी ताकतों को हराना है." उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां जल्द ही सीट बंटवारे के समझौते को औपचारिक रूप देंगी.
370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में 6 नई सीटें जोड़ी गई है जो बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. जम्मू डिवीजन में परिसीमन से पहले 37 सीटें थीं, जो अब 43 हो गई जो बीजेपी के लिए अच्छी बात है. जम्मू डिवीजन में हमेशा से यह शिकायत रही है कि कश्मीर घाटी से ज्यादा बड़ा क्षेत्रफल होने के बावजूद विधानसभा में यहां के लोगों का प्रतिनिधित्व कम है. हालांकि, अब काफी हद तक यह शिकायत दूर हुई है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि जम्मू डिवीजन की 43 सीटों में 34 सीटें ऐसी हैं, जो या तो हिंदू बहुल हैं और या फिर हिंदू मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. ऐसे में अब, बीजेपी का ये सभी 34 सीटें जीतने का प्लान है, और कुछ मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत दर्ज करने की योजना है - खासतौर पर राजौरी और पुंछ इलाके में, जहां पार्टी को समर्थन मिलने की उम्मीद है. हालांकि, कांग्रेस और एनसी की गठबंधन बीजेपी लिए मुसीबत बन हो सकती है.
जम्मू एवं कश्मीर में एक दशक के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में 18 और 25 सितंबर तथा एक अक्टूबर को होंगे. पांच साल पहले विशेष दर्जा और राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने के बाद से यह अशांत क्षेत्र में पहला विधानसभा चुनाव होगा तथा केंद्र शासित प्रदेश का राज्य का दर्जा बहाल होने से पहले यह अंतिम चरण होने की संभावना है. सूत्रों से जानकारी मिली है कि एनसी को लगभग 50 सीटें और कांग्रेस को 35-38 सीटें मिलने की संभावना है. कुछ सहयोगी दलों को भी इसमें शामिल किया जाएगा.
गौरतलब है कि साल 2008 के चुनाव के बाद एनसी और कांग्रेस ने गठबंधन किया था. उस समय उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री के तौर पर गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे थे. हालांकि, दोनों पार्टियों ने 2014 के चुनावों में गठबंधन नहीं किया और सभी सीटों पर अलग-अलग चुनाव लड़ा. वहीं अब फिर 2024 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन से चुनाव लड़ने की बात चल रही है. एनसी ने कहा, हमारी सामूहिक लड़ाई से ज़्यादा सीटों की चिंता है. हम इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं क्योंकि हमारा उनके साथ वैचारिक गठबंधन है. हम किसी भी तरह के गठबंधन के खिलाफ नहीं हैं." First Updated : Friday, 23 August 2024