Jammu Kashmir Assembly Election: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. हालांकि, तमाम एग्जिट पोल्स में यह साफ होता दिख रहा है कि किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है. ऐसे में पांच नामांकित विधायकों की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है. इन विधायकों को लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) द्वारा विधानसभा की पहली बैठक से ठीक पहले नामांकित किया जाएगा, जो बहुमत साबित करने के दौरान वोटिंग में हिस्सा लेंगे.
बता दें 90 सीटों पर हुए चुनाव के बाद, इन पांच नामांकित विधायकों के साथ विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 95 हो जाएगी. इस तरह से बहुमत के लिए कम से कम 48 विधायकों की जरूरत होगी. माना जा रहा है चुनाव परिणामों के बाद भाजपा इस पर खेल कर सकती है.
वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा हैं, जिन्हें केंद्र सरकार ने नियुक्त किया है. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस को आशंका है कि एलजी द्वारा नामांकित विधायक भाजपा का समर्थन कर सकते हैं, जिससे चुनाव के बाद की समीकरणें बदल सकती हैं. भाजपा ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि नामांकन एलजी का अधिकार है.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा की संरचना पुडुचेरी विधानसभा के मॉडल पर आधारित है, जहां तीन नामांकित सदस्य चुने हुए विधायकों की तरह काम करते हैं और उन्हें वोट देने का अधिकार भी प्राप्त होता है. पुडुचेरी की पूर्व एलजी किरण बेदी ने भी बिना कांग्रेस की सलाह के दो सदस्यों का नामांकन किया था, जिसे मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन 2017-18 में सुप्रीम कोर्ट ने इसमें कोई कानूनी उल्लंघन नहीं पाया था.
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के उपाध्यक्ष रविंदर शर्मा ने पांच विधायकों के नामांकन का विरोध जताते हुए कहा कि ऐसा कोई भी कदम लोकतंत्र, जनमत और संविधान के खिलाफ है. वहीं, भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा कि नामांकन नियमों के अनुसार होगा और एलजी को इस प्रक्रिया में पूरा अधिकार प्राप्त है.