Jammu Kashmir Assembly Elections 2024: जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को विधानसभा चुनाव के लिए तीसरे और आखिरी चरण का मतदान जारी है. इस चरण में 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है जिसमें 39 लाख से ज़्यादा मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. सुबह 11 बजे तक 28.12% मतदान हुआ है. इस चरण का चुनाव बेहद खास है क्योंकि इतिहास में पहली बार वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों, पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों और जम्मू क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में बसे गोरखाओं ने अपना वोट डाला है. बता दें कि ये लोग लंबे समय से वोट देने के अधिकार से वंचित थे.
जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के विभिन्न क्षेत्रों में इन तीन समुदायों के 1.5 लाख से अधिक लोग विधायकों को चुनने के लिए चुनावी प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं. बता दें कि पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी जो 1947 में पाकिस्तान से आये थे उन्हें केवल लोकसभा चुनावों में ही मतदान करने की अनुमति थी. हालांकि, इस बार इन्हें विधानसभा चुनाव में भी अपना वोट डालने का अधिकार दिया गया है.
जम्मू के गोरखा नगर में गोरखा समुदाय में वोटिंग को लेकर भारी उत्साह देखने को मिल रहा है. वे पहली बार विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं. बता दें कि इनके पूर्वज दशकों पहले नेपाल से पूर्व डोगरा सेना में सेवा करने आए थे और कई परिवारों में आज भी युद्ध के दिग्गज मौजूद हैं. सघन रूप से संगठित कॉलोनी में 2,000 से अधिक गोरखा समुदाय के सदस्य रहते हैं. ऑल जेएंडके गोरखा सभा के अध्यक्ष करुणा छेत्री ने कहा, 'हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को यहां हमारी किस्मत बदलने के लिए धन्यवाद देते हैं.
वाल्मीकि लोगों को राज्य सरकार की पहल के तहत सफाई कार्य के लिए 1957 में पंजाब के गुरदासपुर जिले से जम्मू-कश्मीर लाया गया था. जम्मू के एक मतदान केंद्र पर मतदान करने वाले घारू भाटी ने कहा, 'मैं 45 साल की उम्र में पहली बार वोट डाल रहा हूं. हम पहली बार विधानसभा चुनाव में भाग लेने के लिए रोमांचित और उत्साह से भरे हुए हैं. यह हमारे लिए एक बड़े त्यौहार की तरह है.' उन्होंने आगे कहा कि यह हमारे जीवन में एक नए युग की शुरुआत है. अब हम अपने मुद्दों को विधानसभा में लेकर जाएंगे. भाटी ने कहा जो समुदाय कभी केवल मैला ढोना ही अपना भाग्य समझता था, अब विधायक या मंत्री बनने की ख्वाहिश रखता है.
गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से समुदायों को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने, नौकरियों के लिए आवेदन करने और चुनावों में भाग लेने में भी मदद मिली है. इस बदलाव से वाल्मीकि समुदाय को वैकल्पिक आजीविका तलाशने का भी मौका मिला है. बता दें कि जम्मू कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों और गोरखा समुदायों को मिलाकर लगभग लगभग 1.5 लाख वाल्मीकि समुदाय के लोग हैं जो सीमावर्ती क्षेत्रों में रहते हैं. First Updated : Tuesday, 01 October 2024