झारखंड पुलिस भर्ती दौड़ में कैसे गई 11 अभ्यर्थियों की जान, सामने आए ये 3 कारण
Jharkhand Police Bharti: झारखंड में जब से सिपाही भर्ती परीक्षा के फिडकल टेस्ट जो हुआ उसको देखकर सभी चिंतित हो गए. दौड़ में 11 अभ्यर्थियों की मौत से हड़कंप मच गया. झारखंड उत्पाद सिपाही भर्ती में अभ्यर्थियों को 10 किमी की दौड़ 60 मिनट में क्यों कराई जा रही है, जबकि यूपी पुलिस भर्ती में महज 4.8 किमी की दौड़ लगानी होती है.
Jharkhand Police Bharti: झारखंड में सिपाही भर्ती परीक्षा में फिजिकल टेस्ट के दौरान करीब 11 अभ्यर्थियों की मौत के मामले से हड़कंप मचा हुआ है. अलग अलग जिले में इन अभ्यर्थियों की दौड़ने के दौरान मौत हो गई थी. आखिर ये मौतें कैसे हुईं, इसके पीछे क्या कारण रहे होंगे. ये सभी सवाल हर किसी को परेशान कर रहे हैं. इस पर एक्सपर्ट डॉक्टर्स भी अपना अपना पक्ष रख रहे हैं. इतना ही नहीं, 100 से अधिक उम्मीदवार अस्पताल में भर्ती हैं.
इन दिनों बिहार और यूपी में भी पुलिस भर्ती परीक्षाएं चल रही हैं, हालांकि दोनों जगहों पर अभी लिखित परीक्षाएं समाप्त हुई हैं. इसके बाद यहां भी फिजिकल टेस्ट की बारी है. आइए जानते हैं कि झारखंड में कितने मिनट में कितने किलोमीटर की दौड़ लगानी होती है और बिहार और यूपी में यह समय और दूरी कितनी है?
3 वजह से हुई मौत
झारखंड पुलिस मुख्यालय की तरफ से दिशा निर्देश जारी किए गए है. खासतौर से चयन सेंटर के पास जहां अभ्यर्थी मौजूद रहते हैं, वहां पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराए जाने का निर्देश दिया गया है. वहीं मेडिकल टीम के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में बेड और दवाओं की भी व्यवस्था करने की बात भी कही गयी है. अभी तक के जांच के मुताबिक अभ्यर्थियों की मौत के पीछे की मुख्यतः 3 वजह सामने आ रही हैं. हालांकि ठोस कारणों अब तक पता नहीं चल पाया है.
जांच की जा रही
मामले की जानकारी देते हुए पुलिस प्रवक्ता अमोल वी होमकर ने बताया कि अब तक हुई शारीरिक चयन प्रक्रिया में 127732 अभ्यर्थी शामिल हो चुके हैं, जिसमे 78023 अभ्यर्थी सफल हुए हैं. इसमें 56441 पुरुष अभ्यर्थी जबकि महिला अभ्यर्थीयों की संख्या 21582 है. उन्होंने बताया कि जिन अभ्यर्थियों की मौत हुई है उसको लेकर यूडी केस दर्ज किया गया है. इस मामले की जांच भी की जा रही है ताकि पता चल सके कि अभ्यर्थियों की मौत किन कारणों से हुई.
मामले पर राजनीति भी तेज
अभ्यर्थियों की मौत पर विपक्षी दल बीजेपी ने भी वर्तमान सत्ताधारी दल को घेरा है. मामले को लेकर राज्य सभा सांसद आदित्य साहू ने सरकार की नियुक्ति नियमावली पर ही सवाल उठाया है और मांग की है कि मृतक अभ्यर्थियों के आश्रितों को 50 लाख का मुवावज़ा और उनके आश्रितों को नौकरी दी जाए. वहीं सत्ताधारी दल जेएमएम के प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि इस तरह के मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार मामले को लेकर गंभीर है और मृतकों के परिजनों के प्रति भी संवेदनशील है.