झारखंड में उग्रवाद और बांग्लादेशी घुसपैठ, सवालों के घेरे में सोरेन सरकार

Jharkhand News: झारखंड में चुनाव से पहले सियासी पारा गरम है. इससे पहले विपक्ष सोरेन सरकार को घेर रही है. हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार पर उग्रवाद और बांग्लादेशी घुसपैठ की बढ़ती समस्याओं को न सुलझाने के आरोप लग रहे हैं. ये समस्याएं न केवल राज्य की सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा हैं, बल्कि प्रशासन की क्षमता पर भी सवाल उठाती हैं.

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Jharkhand News: झारखंड में भले ही अभी विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन सियासी पारा एकदम हाई हो रखा है. इस बीच हेमंत सोरेन सरकार को घेरने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगा रही है. प्रदेश में दिल्ली पुलिस, झारखंड एटीएस और अन्य केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई के बाद उनपर और भी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार पर ये भी आरोप लग रहे हैं कि वो उग्रवाद और बांग्लादेशी घुसपैठ की बढ़ती समस्याओं को सुलझाने के लिए काम नहीं कर रहे हैं.

हाल ही में दिल्ली पुलिस, झारखंड एटीएस और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने एक बड़ा अल-कायदा मॉड्यूल ध्वस्त किया था. इस ऑपरेशन में 12 लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिसमें एक डॉक्टर, मदरसा शिक्षक और कुछ अन्य छोटे-मोटे काम करने वाले लोग शामिल थे. इसका मास्टरमाइंड झारखंड के एमबीबीएस डॉक्टर हैं. इनकी विविध पृष्ठभूमि यह दिखाती है कि उग्रवादी समूह समाज के विभिन्न तबकों में अपनी विचारधारा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.

अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या

उग्रवाद के साथ-साथ झारखंड में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या भी बढ़ती जा रही है, खासकर संथाल परगना क्षेत्र में. 2011 की जनगणना के अनुसार, पाकुड़ जिले में जनसंख्या वृद्धि दर 28% है, लेकिन हालिया सत्यापन में मुस्लिम बहुल इलाकों में मतदाता वृद्धि दर 65% पाई गई. यह अवैध प्रवासियों के आगमन का संकेत देता है, जो क्षेत्र की जनसांख्यिकी और चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे हैं.

झारखंड सरकार की भूमिका और जिम्मेदारी

इन समस्याओं के लिए हेमंत सोरेन सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं. आलोचकों का मानना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन सरकार अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ को राजनीतिक लाभ के लिए प्रोत्साहित कर रही है. सरकार पर आरोप है कि वह एक ऐसे मतदाता आधार को बढ़ावा दे रही है जो उनके हितों के अनुकूल हो, और इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द को नजरअंदाज कर रही है.

मतदाता सूची सवालों के घेरे में

मतदाता सूची के सत्यापन में सरकार की लापरवाही भी सवालों के घेरे में है. पाकुड़-महेशपुर के 263 मतदान केंद्रों में से केवल 9 में बढ़ते मतदाताओं की जांच की गई, जो प्रशासन की इस गंभीर मुद्दे को हल्के में लेने का संकेत देती है. प्रशासन द्वारा दी गई स्पष्टीकरण, जो जनसंख्या वृद्धि और जागरूकता अभियानों को जिम्मेदार ठहराते हैं, विशेष जनसांख्यिकीय असामान्यताओं को नजरअंदाज करते हैं.

झारखंड में उग्रवाद और अवैध प्रवासियों की समस्या गंभीर रूप से जुड़ी हुई है. अगर इन चुनौतियों को सही तरीके से नहीं सुलझाया गया तो यह न केवल राज्य की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है, बल्कि भारत की सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता पर भी प्रभाव डाल सकता है. उग्रवाद की बढ़ती विचारधाराएं क्षेत्र को अस्थिर कर सकती हैं, जबकि अवैध प्रवासी जनसांख्यिकीय संतुलन बदल सकते हैं.

First Updated : Wednesday, 11 September 2024