Watch: बिहार और झांरखंड के स्कूलों में छठ की धूम, छोटी बच्चियों ने गाना गाकर लोगों को किया हैरान, देखें वायरल वीडियो
वायरल वीडियो में साफतौर से देखा जा सकता है कि क्लास में सभी छात्राएं बैठी हैं और लोक गीत गा रही हैं. साथ ही कक्षा में टीचर भी मौजूद हैं जो स्टूडेंट्स का हौसला बढ़ा रहे हैं.
Chhath Puja 2023: लोक आस्था का महापर्व छठ की इन दिनों काफी धूम है, 17 तारीख से शुरू होने वाले त्योहार की बिहार और झारखंड सहित पूरे भारत वर्ष में काफी धूम है. हर किसी की जुबान पर छठ पर्व के गाने गाकर त्योहार को हर्षोउल्लास के साथ मना रहा है. घाटों पर भी साफ-सफाई का काम चल रहा है, हर जगह तैयारियों के जश्न में लोग झूम रहे हैं. इसी बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें झारखंड के स्कूलों में बच्चे छठ का गीत गा रहे हैं.
बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों ने छठ पूजा पर गाया यह सुंदर गीत, हो रहा वायरल । pic.twitter.com/o9ikMXiql7
— छपरा जिला 🇮🇳 (@ChapraZila) November 15, 2023
टीचरों ने बढ़ाया हौसला
वायरल वीडियो में साफतौर से देखा जा सकता है कि क्लास में सभी छात्राएं बैठी हैं और लोक गीत गा रही हैं. साथ ही कक्षा में टीचर भी मौजूद हैं जो स्टूडेंट्स का हौसला बढ़ा रहे हैं. अब इस वीडियो को इंटरनेट खूब प्यार मिल रहा है... लोग इस पर बड़े मजेदार कमेंट भी कर रहे हैं. इस वीडियो को अभी तक 10 हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं. इस पर एक यूजर्स ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'शानदार गीत की प्रस्तुति', दूसरे लिखा कि छठ पूजा का एहसास हो रहा है.
मन्नत पूरा होने पर हाथी अर्पित करने की परंपरा
छठ पूजा में महापर्व छठ के अवसर पर हाथी अर्पित करने की परंपरा बेहद खास है. मान्यता यह है कि जो लोग छठी मैया से मन्नत मांगते हैं और यदि उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो छठी मैया को हाथी अर्पित किया जाता है.
सुनिए झारखंड के सरकारी स्कूल की छात्राओं के द्वारा ये प्यारा छठ गीत 🙏❤️ pic.twitter.com/5jjRS8321p
— छपरा जिला 🇮🇳 (@ChapraZila) November 16, 2023
पूजा समाप्त होने के बाद नदी में प्रवाहित करने की परंपरा
संध्या अर्घ्य देने के बाद घाट से घर आने के बाद आंगन में मिट्टी से बने हाथी की मूर्ति को सजाया जाता है. हाथी के ऊपर कलश ढक्कन और दीप रखा जाता है. कलश में ठेकुआ, गन्ना और फल रखने की परंपरा है. ढक्कन के ऊपर रखे दीपक को जलाया जाता है. उसके बाद हाथी को चार गन्ने से बने कोसी से ढंका जाता है. इसके बाद सुबह घाट पर भी इसी तरह पूजा किया जाता है. वहीं अर्घ्य देने के बाद हाथी को नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है.