झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का आज यानी गुरूवार को निधन हो गया। आपको बता दें कि चेन्नई के अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। झारखंड ते मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए जानकारी साझा की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि 'अपूरणीय क्षति हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे! आज झारखण्ड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया। चेन्नई में इलाज के दौरान आदरणीय जगरनाथ महतो जी का निधन हो गया। परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दे।
'भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने भी ट्वीट कर शिक्षा मंत्री को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने लिखा कि ' झारखंड सरकार के मंत्री श्री जगरनाथ महतो जी के चेन्नई के अस्पताल में निधन की बेहद दुःखद सूचना मिली है। लंबे समय से बीमारी को हराते हुए योद्धा की भांति डंटे रहने वाले जगरनाथ जी का चले जाना पूरे झारखंड के लिए अत्यंत दुखदायी है। राजनैतिक भिन्नताओं के बावजूद व्यक्तिगत रूप से उनकी जीवटता का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूं। ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। भावभीनी श्रद्धांजलि. ॐ शांति ॐ शांति।
जगरनाथ महतो पिछले कुछ महीनों से काफी बीमार चल रहे है। 14 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई थी। जिस कारण उन्हें रांची के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि बाद में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सलाह पर उन्हें तत्काल एयरलिफ्ट करके चेन्नई ले जाया गया था। चेन्नई के बड़े अस्पताल में डॉक्टर्स की निगरानी में उनका उपचार चल रहा था। लेकिन आज यानी गुरूवार सुबह उनका निधन हो गया। शिक्षा मंत्री के निधन पर झांरखंड के राजनीति गसियारों में शोक की लहर है।
दो साल पहले कोरोना महामारी से संक्रमित होने के बाद उनके फेफड़ो में संक्रमण हो गया था। इस दौरान चेन्नई MJM में ही उनके लंग्स का ट्रासप्लानेशन हुआ था और अब फॉलो अप के लिए उन्हे वहीं भेजा गया था। इससे पहले अक्टूबर 2018 में उन्हे हार्ट अटैक आया था। उनकी एक बार एनजीओप्लास्टी भी हो चुकी है।
वहीं आपको बता दें कि जगरनाथ महतो गिरिडीग जिले के डुमरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। उनकी गिनती झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेताओं में होती थी वही डुमरी विधानसभा से निर्वाचित काफी लोकप्रिय विधायक थे। क्षेत्र में वह टाइगर के नाम से जाने जाते थे। उनके पास उत्पाद विभाग का भी अतिरिक्त प्रभार था। शिक्षा मंत्री के रूम में 65 हजार पारा शिक्षकों के स्थायीकरण के लिए सेवाशर्त नियमावली लागू करना इनकी बड़ी उपलब्धि मानी जा रही थी। First Updated : Thursday, 06 April 2023