Jammu and Kashmir Assembly Elections: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है. इस दौरान सभी पार्टियां चुनावी तैयारी में जुटी हैं. इसी बीच लोकसभा सांसद शेख अब्दुल रशीद उर्फ इंजीनियर रशीद की अगुआई वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) ने प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) के पूर्व सदस्यों के साथ एक रणनीतिक गठबंधन किया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एआईपी ने इस संबंध में एक बयान जारी किया, जिसमें बताया गया कि एक संयुक्त बैठक हुई जिसमें एआईपी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एआईपी सुप्रीमो और मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी ने किया, जबकि जेईआई प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व गुलाम कादिर वानी ने किया. इस बैठक में जेईआई के प्रमुख सदस्यों ने भी भाग लिया.
जेईआई पर भारत सरकार ने 2019 में आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत बैन लगा दिया था, और इस साल की शुरुआत में बैन को पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया. इसके बावजूद, जेईआई के कई पूर्व नेता स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में विधानसभा चुनाव में भाग ले रहे हैं, जिन्हें आंशिक समर्थन एआईपी से प्राप्त है.
एआईपी के प्रवक्ता ने कहा कि यह गठबंधन क्षेत्र की जनता के व्यापक हित में किया गया है, जिसका उद्देश्य एआईपी और जेईआई समर्थित उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करना है. गठबंधन के तहत, एआईपी कुलगाम और पुलवामा जैसे प्रमुख जिलों में जेईआई उम्मीदवारों का समर्थन करेगी, जबकि जेईआई अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में एआईपी उम्मीदवारों का समर्थन करेगा। लंगेट, देवसर और जैनापोरा जैसे क्षेत्रों में, जहां दोनों पार्टियों ने उम्मीदवार खड़े किए हैं, दोस्ताना मुकाबला पर सहमति बनी है.
प्रवक्ता ने दोनों पक्षों के बीच एकता की महत्वता पर जोर देते हुए कहा कि वे कश्मीर मुद्दे का समाधान और क्षेत्र में स्थायी शांति को बढ़ावा देने के लिए एकजुट हैं. उन्होंने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य पर भी ध्यान दिया और कहा कि न तो जेईआई और न ही एआईपी निष्क्रिय पर्यवेक्षक बने रहने का जोखिम उठा सकते हैं.
इंजीनियर रशीद ने पहले भाजपा के प्रतिनिधि होने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनकी चुनावी सफलता मोदी सरकार की 'नया कश्मीर' पहल के खिलाफ जनता की भावनाओं का प्रदर्शन है. उन्होंने कहा कि जो लोग उन्हें भाजपा का प्रतिनिधि मानते हैं, उन्हें अपने आप पर शर्म आनी चाहिए, क्योंकि वे स्वयं को एकमात्र मुख्यधारा का नेता मानते हैं, जिसे सत्तारूढ़ पार्टी से उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है.
इसके अलावा, रशीद ने उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के दौरान उन्हें एसकेआईसीसी में रखा गया था, जबकि वह तिहाड़ जेल में बंद एकमात्र विधायक थे. उन्होंने अब्दुल्ला को बारामूला लोकसभा सीट पर दो लाख से अधिक मतों से पराजित करने का दावा करते हुए कहा कि अब्दुल्ला न तो महात्मा गांधी बन सके और न ही सुभाष चंद्र बोस, और महबूबा मुफ्ती भी रानी रजिया सुल्तान या आंग सान सू की की तरह नहीं बन सकीं. वे केवल कठपुतली और रबर स्टाम्प हैं. First Updated : Sunday, 15 September 2024