17 साल बाद इंसाफ की दस्तक... वो 8 चेहरे जिनके प्रयासों से शिकंजे में आया तहव्वुर राणा
26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा 17 साल बाद भारत प्रत्यर्पित हुआ, इसके लिए 'ऑपरेशन तहव्वुर' की सफलता मिली. इस मिशन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, NIA प्रमुख सदानंद दाते, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और खुफिया प्रमुख तपन डेका जैसी अहम हस्तियों का योगदान था.

26 नवंबर 2008 की वो रात आज भी हर भारतीय के दिल-दिमाग में ताजा है, जब मुंबई का शहर आतंक की आग में जल रहा था. लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के गठजोड़ ने भारत की आर्थिक राजधानी को लहूलुहान कर दिया था. इस साजिश का अहम चेहरा तहव्वुर हुसैन राणा, अब 17 साल बाद भारत की धरती पर अपने अपराधों का हिसाब देने को मजबूर है. अमेरिका से भारत लाने के लिए 'ऑपरेशन तहव्वुर' नाम से चलाया गया गुप्त और अत्यंत संवेदनशील मिशन अब सफल हो चुका है.
इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने में भारत की कई एजेंसियों और रणनीतिकारों की बड़ी भूमिका रही. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की अगुवाई में चले इस मिशन में कूटनीति, खुफिया कार्रवाई और कानूनी तैयारी का बेहतरीन समन्वय देखने को मिला.
अजित डोभाल
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को इस पूरे अभियान का सूत्रधार माना जा रहा है. मिशन की बारीकी से निगरानी करते हुए डोभाल ने गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और अमेरिकी अधिकारियों के साथ समन्वय बनाकर एक मजबूत रणनीति तैयार की. 9 अप्रैल 2025 को गृह मंत्रालय में हुई अहम बैठक में अंतिम योजना को मंजूरी मिली थी. उनकी रणनीति का मकसद साफ था – राणा को भारत लाना और न्याय की चौखट तक ले जाना.
एनआईए प्रमुख सदानंद दाते
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के प्रमुख सदानंद दाते, जो खुद 26/11 हमले के दौरान मुंबई पुलिस में कार्यरत थे, इस ऑपरेशन के मजबूत स्तंभ रहे. उन्होंने राणा के खिलाफ इतना ठोस सबूत जुटाया कि अमेरिकी अदालत को झुकना पड़ा. उन्होंने अपनी टीम को निर्देश दिया कि राणा से पूछताछ में कोई कसर ना छोड़ी जाए और हमले की हर कड़ी को उजागर किया जाए.
DIG जया रॉय
NIA की डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल जया रॉय ने अमेरिका में टीम का नेतृत्व किया. उन्होंने तहव्वुर राणा की हिरासत, प्रत्यर्पण संबंधी कागजातों और अमेरिकी जेल ब्यूरो के साथ तालमेल में निर्णायक भूमिका निभाई. उनकी कुशलता और नेतृत्व ने ऑपरेशन को गति दी और प्रत्यर्पण में कोई अड़चन नहीं आने दी.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विक्रम मिस्री
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका पर लगातार राजनीतिक और कूटनीतिक दबाव बनाए रखा. अमेरिका के विदेश विभाग से कई दौर की वार्ताएं करवाई गई, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी अहम भूमिका निभाई. मिस्री ने अमेरिकी अधिकारियों से संवाद बनाकर प्रत्यर्पण प्रक्रिया की जटिलताओं को सुलझाया.
तपन डेका
इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका की टीम ने राणा के लश्कर और ISI से संबंधों की पुष्टि करने वाले सबूत जुटाए. ये रिपोर्ट NIA को सौंपकर केस को मजबूती देने में अहम रही. डेका की खुफिया जानकारी ने ये साबित किया कि राणा केवल मददगार नहीं बल्कि आतंक की पूरी साजिश का हिस्सा था.
डेविड हेडली
तहव्वुर राणा का बचपन का दोस्त डेविड कोलमैन हेडली, जो 26/11 का सह-साजिशकर्ता था, पहले ही अमेरिकी जेल में सजा काट रहा है. उसकी गवाही में ये बात सामने आई कि राणा ने उसे भारत में टारगेट्स की रेकी और फर्जी दस्तावेज मुहैया कराए थे. ये गवाही राणा के प्रत्यर्पण का निर्णायक मोड़ साबित हुई.
नरेंद्र मान
सरकार की ओर से तहव्वुर राणा मामले में वरिष्ठ वकील नरेंद्र मान को सरकारी वकील नियुक्त किया गया है. पहले भी कई हाई-प्रोफाइल मामलों को संभाल चुके मान को अब इस बेहद संवेदनशील केस की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जहां उनका अनुभव एक बार फिर काम आने वाला है.


