नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री समेत कई अहम विभाग संभाल चुके कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी (AAP) छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया। बुधवार को बीजेपी मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और अनिल बलूनी की उपस्थिति में गहलोत ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इससे पहले, गहलोत ने एक दिन पहले ही AAP से इस्तीफा दे दिया था।
पार्टी नेतृत्व से लंबे समय से मतभेद
गहलोत का AAP नेतृत्व के साथ पिछले कुछ महीनों से विवाद चल रहा था। दिल्ली सरकार में गहलोत परिवहन मंत्रालय समेत कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, लेकिन उनके और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच दूरियां बढ़ती जा रही थीं। अंततः उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होने का फैसला लिया।
इस्तीफे में केजरीवाल पर लगाए आरोप
गहलोत ने अपने इस्तीफे में पार्टी के सामने खड़ी "गंभीर चुनौतियों" का जिक्र किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अप्रत्यक्ष कटाक्ष किया। उन्होंने अपने पत्र में 'शीशमहल' विवाद को भी उठाया, जो बीजेपी द्वारा लगाए गए उस आरोप से जुड़ा है जिसमें कहा गया था कि केजरीवाल ने अपने आधिकारिक आवास (6 फ्लैगस्टाफ रोड) पर करोड़ों रुपये खर्च किए। गहलोत ने इसे भ्रष्टाचार का प्रतीक बताया।
आप का पलटवार: ईडी-सीबीआई का दबाव
गहलोत के बीजेपी में शामिल होने पर आम आदमी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। AAP नेताओं ने कहा कि गहलोत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई की जांच के दबाव में पार्टी छोड़ने को मजबूर हुए। पार्टी ने इसे बीजेपी की "राजनीतिक साजिश" करार देते हुए कहा कि वह जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
बीजेपी ने गहलोत के फैसले को बताया साहसिक कदम
दूसरी ओर, बीजेपी नेताओं ने गहलोत के फैसले का स्वागत किया। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इसे साहसिक कदम बताते हुए कहा कि गहलोत का पार्टी में शामिल होना दिल्ली में बीजेपी की मजबूती का संकेत है।
चुनावी समीकरणों पर असर
गहलोत के बीजेपी में शामिल होने से दिल्ली की राजनीति में नई हलचल मच गई है। यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि गहलोत का यह राजनीतिक बदलाव बीजेपी और AAP के समीकरणों को किस तरह प्रभावित करता है। First Updated : Monday, 18 November 2024