Kakori Conspiracy: काकोरी कांड के 100 साल पूरे, जानिए ट्रेन लूटने की पीछे क्या थी कहानी
9 अगस्त का दिन भारतीय इतिहास में एक ऐसा दिन है जिसे कोई भी भारतीय भूल नहीं सकता है. इस दिन एक ट्रेन लूट को अंजाम दिया गया था. यह कोई डैकती नहीं बल्की अंग्रेजों से स्वतंत्रता के लिए किया गया विद्रोह का वार था जिस काकोरी कांड का नाम दिया गया. यह डैकती
Kakori Conspiracy 100 Years: काकोरी कांड को हुए आज पूरे 100 साल हो गए हैं. यह घटना इतिहास के पन्नों में भी दर्ज है. इस घटना को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों ने अंजाम दिया था और एक ट्रेन को लूटा था. इस ट्रेन में ब्रिटिश सरकार का खजाना था जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का क्रान्तिकारियों ने लूट लिया.
इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे. इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था. हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को परिणाम दिया था.
क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे स्वतन्त्रता के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल जरूरत थी. ऐसे में शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी. इस योजनानुसार 9 अगस्त 1925 के दिन भारत के क्रांतिकारियों ने अपने शौर्य, संकल्प, साहस, स्वातंत्र्यप्रेम एवं त्याग का अद्भुत परिचय देते हुए 08 डाउन, सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन में सशस्त्र हस्तक्षेप कर ब्रिटिश सरकार के खजाने पर कब्जा कर लिया था.