Caste Census: मध्य प्रदेश में जातीय जनगणना कराएंगे कमलनाथ, कहा- 'खुलेगी भाजपा की पोल'
Caste Census Politics: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राज्य में जातीय जनगणना कराई जाएगी. कमलनाथ के इस बयान से बिहार के बाद अब मध्यप्रदेश में जातीय जनगणना को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है.
हाइलाइट
- मध्य प्रदेश में जातीय जनगणना कराएंगे कमलनाथ
- प्रदेश में 55 प्रतिशत है ओबीसी की आबादी
- निजी क्षेत्र में आरक्षण का भी होगा प्रावधान
Caste Census Politics: देश में एक बार फिर जातिगत जनगणना को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. दरअसल, इस बार मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घोषणा की है कि पार्टी की सरकार बनने पर वह प्रदेश में जातिगत जनगणना कराएंगे. इससे पहले बिहार सरकार भी इस तरह का सेंसस करा रही थी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी. पिछले कुछ समय में जातीय जनगणना राजनीति के केंद्र में बनी हुई है. पिछले दिनों इंडिया गठबंधन की बैठक में भी इसको तवज्जो दिया गया था.
जातीय जनगणना से बीजेपी को डर
भोपाल के रविंद्र भवन में रविवार को मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग संयुक्त मोर्चा द्वारा महासम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस आयोजन में पीसीसी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शामिल हुए थे. उन्होंने कार्यक्रम में कहा कि मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी 55% है, भाजपा सरकार जातिगत गणना इसलिए नहीं करा रही कि कहीं उसकी पोल न खुल जाए.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने पर प्रदेश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी, ताकि पता लगाया जा सके कि हमारे समाज में गरीब व्यक्ति कितने हैं. उनकी क्या सहायता की जा सकती है. ताकि पिछड़े वर्ग की जातियों को वास्तविक संख्या का पता चल सके. उन्होंने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण का प्रावधान कराने के लिए नियम बनाए जायेंगे और ओबीसी वर्ग के साथ न्याय किया जायेगा.
ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिश
इस साल के अंत में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले ओबीसी वर्ग को अपने साथ लाने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों हर संभव प्रयास कर रहे हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराने की घोषणा कर दी. दरअसल, प्रदेश की 50% से अधिक आबादी ओबीसी वर्ग से आती है, जो प्रदेश के 125 विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव डाल सकते हैं. यही वजह है कि दोनों ही प्रमुख पार्टियां ओबीसी वर्ग का खुद को हितैषी बता रहे हैं.