'आखिर कौन सुन रहा है, PM मोदी,' मोहन भागवत के विजयदशमी संबोधन पर कपिल सिब्बल का कटाक्ष, और क्या बोले?
Mohan Bhagwat: राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण पर कटाक्ष किया है. उन्होंने पूछा कि उनकी टिप्पणियों को कौन सुन रहा है. भागवत ने अपने भाषण में कहा कि समाज में सामाजिक सद्भाव और आपसी समझ होना जरूरी है, और यह केवल प्रतीकात्मक कार्यक्रमों से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर सौहार्द बढ़ाने से ही संभव है.
Mohan Bhagwat: राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण पर कटाक्ष किया है. उन्होंने पूछा कि उनकी टिप्पणियों को कौन सुन रहा है. भागवत ने अपने भाषण में कहा कि समाज में सामाजिक सद्भाव और आपसी समझ होना जरूरी है, और यह केवल प्रतीकात्मक कार्यक्रमों से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर सौहार्द बढ़ाने से ही संभव है.
कपिल सिब्बल ने एक्स पर लिखा कि मोहन भागवत का संदेश सभी त्योहारों को एक साथ मनाने और सभी लोगों के बीच दोस्ती की बात करता है. वे कहते हैं कि भाषा, संस्कृति और भोजन भिन्न हो सकते हैं, लेकिन दोस्ती हमें एक साथ लाएगी. पर इस पर कोई सुन रहा है? क्या मोदी या अन्य लोग सुन रहे हैं?
Mohan Bhagwat
Message on Vijayadashmi
All festivals should be celebrated together
..have friends among all kinds of people…language can be diverse, cultures can be diverse, food can be diverse but friendship ..will bring them together
Who is listening ?
Modi ?
Others ?— Kapil Sibal (@KapilSibal) October 13, 2024
खरगे ने भी भागवत की टिप्पणियों की आलोचना
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी भागवत की टिप्पणियों की आलोचना की. उन्होंने कहा कि आरएसएस उस पार्टी का समर्थन करती है जो देश में फूट डालना चाहती है. भागवत ने भारत के सांस्कृतिक जीवन की एकता पर जोर दिया और कहा कि कई समूह संस्कृति के मूल्यों को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि शिक्षा, मीडिया और बौद्धिक प्रवचन जैसी संस्थाओं पर कब्जा करना इन समूहों का पहला कदम है.
हिंदुओं के बीच एकता की अपील
भागवत ने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए हिंदुओं के बीच एकता की अपील की. उन्होंने कहा कि हाल के समय में हिंदू एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरे. भागवत ने चेताया कि जब तक समाज में क्रोध और अत्याचार की मानसिकता बनी रहेगी, तब तक न केवल हिंदू, बल्कि सभी अल्पसंख्यक खतरे में रहेंगे. उन्होंने कहा कि कमजोर होना एक अपराध है, और हमें एकजुट होकर सशक्त बनना होगा.