Kargil Vijay Diwas 2023: योगेंद्र सिंह यादव ने 15 गोलियां खाकर भी टाइगर हिल पर नहीं होने दिया पाक का कब्जा, पढ़िए पूरी कहानी

Kargil Vijay Diwas 2023:कारगिल युद्ध के कई हीरो रहे हैं, इन्हीं में से एक हैं परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव, जिन्होंने एक या दो नहीं पूरी 15 गोलियां खाईं लेकिन दुश्मन से लड़ते रहे और टाइगर हिल को फतह कर लिया.

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Kargil Vijay Diwas 2023: कारगिल की जंग किसे याद नहीं या फिर यूं कहे कि इसे कौन भूल सकता है, जब देश की सीमा में घुस आए दुश्मन को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना के जाबांजों ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी. 26 जुलाई 1999 को इस जंग में भारत की विजय का ऐलान किया गया और कारगिल की चोटियों पर शान से तिरंगा लहराने लगा.

उसी जीत की याद में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि कारगिल युद्ध के कई हीरो रहे हैं, इन्हीं में से एक हैं परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र सिंह यादव, जिन्होंने एक या दो नहीं पूरी 15 गोलियां खाईं लेकिन दुश्मन से लड़ते रहे और टाइगर हिल को फतह कर लिया. उन्हें हीरो ऑफ टाइगर हिल भी कहा जाता है.

हिंदी फिल्म जैसी है पूरी कहानी -

आपको यह कहानी भले ही किसी बॉलीवुड फिल्म (हिंदी फिल्म) की स्क्रिप्ट की तरह लगे, लेकिन ये योगेंद्र सिंह यादव ही थे, जिन्होंने अपने अदम्य साहस की बदौलत अकेले दम पर टाइगर हिल पर भारतीय सेना का कब्जा दिला दिया था. उस समय योगेंद्र सिंह की उम्र महज 19 वर्ष की थी.


साल 1999 की गर्मियों में जब कारगिल की जंग शुरू हुई, उस वक्त योगेंद्र सिंह ने यादव भारतीय सेना में अपनी ट्रेनिंग पूरी ही की थी. 18 ग्रेनेड्स के हिस्से के रूप में योगेंद्र को टाइगर हिल पर कब्जा जमाने की जिम्मेदारी सौंपी गई, जहां पर पहले से ही पाकिस्तानी सैनिक घुसपैठ करके जम चुके थे.

ऊपर से पाकिस्तानी सैनिक बरसा रहे थे गोलियां -

करीब तीन साल पहले साल 2021 में एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए योगेंद्र सिंह यादव ने उस रात की रोंगटे खड़ी कर देने वाली पूरी कहानी बताई थी. योगेंद्र सिंह ने कहा कि, "3-4 जुलाई की रात थी, हम सुबह के समय ऊपर की तरफ चढ़ते चले जा रहे थे. दुश्मन के बंकर दोनों तरफ थे लेकिन अंधेरे की वजह से दिखाई नहीं दिया. दूसरी तरफ से फायरिंग शुरू हो गई और 7 जवान ही ऊपर चढ़ पाए.

ऊपर पहुंचते ही हाथ से लड़ाई होने लगी, चार-पांच पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया लेकिन सबसे मुश्किल दौर आगे था. चोटी पर पाकिस्तान की पूरी कंपनी थी. दुश्मन सैनिक करीब 150 से 200 की संख्या में थे. जब पाकिस्तानी सैनिकों ने देखा कि भारतीय फौज ऊपर पहुंच रही है तो उन्होंने जबर्दस्त गोलाबारी शुरू कर दी. योगेंद्र यादव ने बताया कि हम ऐसी स्थिति में थे कि एक कदम आगे रखें तो भी हेड शूट और एक कदम पीछे रखें, तब भी हेड शूट, यानि मौत तो निश्चित थी, हम आगे बढ़े."

आंखों के सामने एक-एक कर शहीद होते गए साथी -

वहीं योगेंद्र यादव ने आगे कहा कि, "हम आगे बढ़ते रहे और पाकिस्तानी सेना का हमला हम पर बार-बार होता रहा. इस दौरान उनके एक-एक साथी उनकी आंखों के आगे शहीद होते रहे. वो भी घायल होकर बेहोश हो गए. पाकिस्तानी सैनिक जमीन पर गिरे भारतीय जवानों पर गोलियां दाग रहे थे."

योगेंद्र यादव ने बताया कि, "जब वो गिरे थे तो उन्हें तीन बार गोलियां मारीं. बाजू की हड्डी निकलकर बाहर हो गई थी, पैर बुरी तरह से घायल था, चल नहीं सकते थे, लेकिन फिर भी हार नहीं मानी. जब थोड़ा होश आया तो देखा कि कुछ पाकिस्तानी सैनिक अभी भी वहां मौजूद थे. उन्होंने पास से एक ग्रेनेड लिया और उन सैनिकों पर फेंक दिया, जिसमें तीन पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. मैंने उठने की कोशिश की लेकिन पाया कि मेरा हाथ मेरे शरीर पर झूल रहा था. मैंने बेल्ट से हाथ को धड़ से बांध लिया और राइफल को इकठ्ठा करना शुरू कर दिया."

पाकिस्तानी सैनिकों को चकमे में डाल दिया -

इस दौरान योगेंद्र सिंह यादव के सारे साथी शहीद हो चुके थे, लेकिन योगेंद्र सिंह ने अलग-अलग राइफल से फायरिंग करनी शुरू कर दी, जिससे पाकिस्तानी सैनिकों को यह लगा कि मदद के लिए भारतीय फौज की दूसरी टुकड़ी वहां पहुंच चुकी है और पाकिस्तानी सैनिक आगे नहीं बढ़े. इस बीच नीचे से आ रहे भारतीय सैनिकों को मौका मिल गया और वे पहुंच गए. योगेंद्र सिंह यादव को बेस हॉस्पिटल ले जाया गया और चोटी पर तिरंगा लहरा दिया गया. First Updated : Tuesday, 25 July 2023